सोमवार, 29 जनवरी 2018

A Hindi Ghazal




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Raksha Bandhan (Poem)




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A Poem on Holi







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Welcome of Vasant


स्वागत हे वसंत

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स्वागत हे वसंत
देखो ऋतुओं का राजा बसंत आया।

सब अलिकुल अब वाद्य यंत्र बजाओ।
खग शिखि समूह अब नृत्य दिखाओ।।
आम्रमंजरियों का मुकुट पहनाओ।


देखो ऋतुओं का राजा बसंत आया।

सरसों के पीले गालों को देखो।
गेहूँ के रसवन्ती, बालों को देखो।
फूलों के मकरन्दी धारा को देखो।। 



देखो ऋतुओं का राजा बसंत आया।

राधे-श्याम का जो मिलन ऋतु है।
सीता-राम का जो युगल ऋतु है।।
वसंत कवियों का गीत काव्य है।


देखो ऋतुओं का राजा बसंत आया।

आनंद उल्लास का प्रतीक वसंत है।
वसंत पुलकित आनंदित करता सबको।
हे युवा नूतन किसलय से श्रृंगार कर।

देखो ऋतुओं का राजा बसंत आया।

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Poem on Maa Saraswati

सरस्वती वंदना


     जयति जय माँ शारदे।
     जयति जय माँ वरदायनी।।

     ज्ञान पुँज से ज्योति जगा दे।
     दया मातु एक बार तु कर दे।
     निश्कलंक चरित गुण कर दे।।

     जयति जय माँ शारदे।
     जयति जय माँ वरदायनी।।


     जयति जय माँ शारदे।
     जयति जय माँ वरदायनी।।


          जयति जय माँ शारदे।
          जयति जय माँ वरदायनी।।

          जयति जय माँ शारदे।
          जयति जय माँ वरदायनी।।

          जयति जय माँ शारदे
          जयति जय माँ वरदायनी।।

          नवल चेतना बाल बृन्द में भर दे।
          नवल कंठ वह नवल छन्द दे।
          माता स्वर में स्वर तू भर दे।।



     जयति जय माँ शारदे
     जयति जय माँ वरदायनी।।

     जप तप नही जानु, अर्घ मंत्र दे।
     काट सकु मैं अंधकार को शस्त्र दे।
     मै मूरख, तू ज्ञान का दिव्यास्त्र दे।।

     जयति जय माँ शारदे
     जयति जय माँ वरदायनी।।
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Poem on Dowry




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Poem on DowryA nice poem on Dowry in India

शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

Most powerful Ganesh mantras of Ganesh

www.gyanpathik.blogspot.com

श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र

नमस्कार   दोस्तों   मैं   अजय कुमार  ठाकुर   आप  सभी  का  ज्ञान  पथिक ब्लाॅगस्पाॅट पर स्वागत करता हूँ। आज  हम भगवान गणेश जी  के एक नये स्त्रोत्र के बारे  में  चर्चा  करेंगे  और  आप  सभी  को इस मंत्र के महत्व और इसके अप्रत्यशित परिणाम के बारे में बतायेंगे।

संकटनाशनगणेश स्त्रोत्र एक अत्यंत प्रभावी स्त्रोत्र है इसके स्मरण मात्र से सभी विघ्नों का नाश होता है। यदि प्रति दिन इसका पाठ किया जाय तो व्यक्ति को सभी परेशानियों से छुटकारा मिलने लगता है। सभी देवताओं में श्रीगणेश जी का प्रथम स्थान है यदि इनका पूजन दूर्वा, मोदक तथा घी के दिये जलाकर किया जाय तो मनुष्य के जीवन में किसी प्रकार की परेशानी नही आती है। प्रातः काल इस मंत्र का जप 21 दिनों तक करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान गणेश जी को ब्रम्हा, विष्णु तथा महेश का रूप माना गया है। पंच देवता तथा नवग्रह इत्यादि सभी गणपति के रूप माने गये हैं।

यह मंत्र रहस्य का वर्णन स्वयं महर्षि नारद जी मुख से प्राप्त हुआ है । सामान्यतः हिन्दु धर्म में जब भी कोई नया कार्य प्रारंभ किया जाता है तो उसकी सफलता के लिए गणपति स्त्रोत्र का का पाठ जरूर किया जाता है जो कि भगवान गणेश जी को अति प्रिय है। यह स्त्रोत्र इस प्रकार है:-




इसके भवार्थ इस प्रकार हैं -

महर्षि नारद जी कहते हैं: 

पार्वती पुत्र श्रीगणेश जी को सिर झुकाकर प्रणाम करें और फिर अपनी आयु, मन में संकल्प किये कार्य और अर्थ की सिद्वि के लिए श्रीगणेशजी का नित्य स्मरण करें।।1।।

पहला टेढे मुखवाले, दूसरा एक दाँत वाले, तीसरा काली और भूरी आँख वाले, चैथा हाथी जैसे मुख वाले ।। 2।। 

पाँचवा बड़े पेट वाला, छठा विकराल शरीर वाला, साँतवा विघ्नों का नाश करने वाले राजाधिराज, तथा आठवाँ धूसर वर्ण वाले ।। 3 ।।

नवाँ जिसके ललाट पर स्वयं चन्द्र सुशोभित हैं, दसवाँ विनायक, ग्यारहवाँ गणपति एवं बारहवाँ गजानन ।। 4 ।।

जो मनुष्य इन बारह नामों का पाठ प्रातः, मध्यान्ह एवं संध्या काल में करता है उस व्यक्ति के जीन्दगी में किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। ।। 5 ।।

यदि विद्यार्थी इसका पाठ करते हैं तो उनको विद्या की प्राप्ति होती है, धन की इच्छा रखने वालों को धन की प्राप्ति होती है, पुत्र की इच्छा रखने वाले को पुत्र की प्राप्ति  होती  है,  और  मोक्ष  की  कामना  करने  वाले को मोक्ष की  प्राप्ति  होती  है ।। 6 ।।

जो व्यक्ति इस गणपति स्त्रोत्र का पाठ प्रातः, मध्यान्ह एवं संध्या काल में छः महीने तक करता है तो उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है और एक वर्ष में पूर्ण सिद्वि प्राप्त होती है।। 7।।

यदि कोई व्यक्ति इस स्त्रोत्र को हाथ से लिख कर आठ ब्राम्हण को दे दे तो उसे गणेश जी की कृपा से सभी प्रकार की विद्या प्राप्त होती है।। 8।।

इसी के साथ मै आपसे विदा लेता हुँ  और कामना करते हैं कि ईश्वर की अनुकम्पा सदा आप पर बनी रहे।  एैसी ज्ञानचर्चा होती रहेगी मैं तो बस निमित्त मात्र हूँ। तो आइये इस ज्ञान वार्ता में सहभागी बनें। और इस ब्लाॅग को सब्सक्राइब करें और लाइक करें जिससे हमारे अगले ब्लाॅग की जानकारी आपको मिल सके और मेरा भी मनोबल बना रहे।

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https://youtu.be/jCZeUT9sPuo

मिथुन राशि वालों के लिए मित्र और शत्रु ग्रह !

मेष राशि नमस्कार दोस्तों, आज से सभी 12 राशियों की जानकारी देने के लिए   एक श्रृंखला सुरू करने जा रही हैं जिसमे हर दिन एक एक राशि के बारे में...