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शुक्रवार, 16 मार्च 2018

हनुमान साधना के अद्भुत लाभ

हनुमान साधना के अद्भुत लाभ


          कलियुग में देवों के देव महादेव शिव के गयारवें रूद्रावतार हनुमानजी सबसे प्रभावशाली और जागृत देवता हैं। जिस प्रकार सीता के वनवास के समय श्रीराम के सभी कार्य को शीघ्र पूरा कर देते थे उसी प्रकार श्रीराम भक्त शिरोमनि हनुमान जी अपने भक्तों के कार्य के लिए सदैव तत्पर रहतें है। जहाँ-जहाँ श्रीराम का नाम लिया जाता है वहाँ हनुमान जी शीघ्र ही अपने भक्तों पर कृपा करतें हैं। कठिन से कठिन कार्य भी हनुमान जी का स्मरण मात्र से सुलभ हो जाता है और व्यक्ति निर्भय होकर निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है। इनके उपासना से व्यक्ति में बुद्धि, बल, शौर्य, यश, साहस और आरोग्यता को प्राप्त करता है।

हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार सप्त चिरंजिवों का वर्णन है - हनुमान, राजाबली, महामुनि व्यास, अंगद, अश्वथामा, कृपाचार्य एवं विभीषण। जिनमें  हनुमान 

जी ऐसे देवता हैं जिन्हें सर्वाधिक पूजनीय माना गया है, जो सशरीर इस पृथ्वी पर विद्यमान रहते हैं। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा, मंगलवार को हुआ था। हनुमान जी की माता का नाम अंजना तथा पिता का नाम वायु देवता हैं। वेदों से पता चलता है कि मंगलवार का दिन अत्याधिक मंगलसूचक है। अतः इस दिन हनुमान जी की उपासना का विशेष महत्व होता है तथा अत्यधिक फलदायक होता है। हनुमानजी अखण्ड ब्रम्हचारी हैं इसलिए उनकी आराधना के समय ब्रम्हचर का पालन विशेष रूप से करना चाहिए।


           ऐसी मान्यता है कि आज भी जहाँ रामकथा होती है श्री हनुमान जी किसी न किसी रूप में वहाँ विद्यमान रहते हैं। हनुमान जी के कृपा से ही तुलसीदास जी को भगवान राम के दर्शन हुए थे।  

।।चित्रकूट के घाट पर भई संतन के भीड़।
तुलसीदास चंदन रगरै तिलक लेत रघुबीर।।

           हनुमान जी की भक्ति एवं महिमा का गुणगान ही हनुमान चालीसा के रूप में विद्यमान है। अतः हनुमान चालीसा से हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है। 


           शनि देव के आराध्य देव शिवजी हैं एवं हनुमान जी शिव के गयारवें रूद्रावतार इसलिए शनिदेव शिव भक्त एवं हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं एवं इन पर विशेष कृपा दृष्टि रखते हैं। शनि, राहु एवं केतु के महादशा काल में हनुमान जी की साधना करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। 

हनुमान जी की आराधना करने से पहले श्रीराम का स्मरण एवं जप जरूर करें इससे हनुमान जी अति प्रसन्न होतेे हैं। हनूमान जी की आराधना के कुछ नियम है जौ इस प्रकार है -

1) नित्यप्रतिदिन भगवान श्री हनुमान मंदिर में जाकर दर्शन करें यदि संभव न हो तो अपने घर में तश्वीर या मुर्ति रखकर प्रातः नित्य दर्शन करे।

2) प्रातः काल जगने के बाद तथा सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें।

3) दिन में स्नान इत्यादि करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें तथा हनुमान चालीसा का पाठ करें।

4) जातक को मांसाहार तथा मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए ।

5) हनुमान जी की पूजा करने से पहले श्री राम की पूजा करनी चाहिए।

6) मंगलवार तथा शनिवार का व्रत रखना चाहिए।

7) पूजन के दरम्यांन पूर्ण ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।

8) जातक को अपने भीतर क्रोध एवं अहंकार को नहीं लाना चाहिए।

9) हनुमान जी को घी के लड्डु का भोग लगाना चाहिए।

10) हनुमान जी को लाल चंदन या सिन्दूर चढाना चाहिए।

हनुमान जी के टोटके जिससे धन की प्राप्ति होती है - 

1) तेल के दीये मेे लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें इससे आपका संकट दूर होगा तथा धन की प्राप्ति होगी।

2) हनुमान जयंती के अवसर पर गोपी चंदन की 9 डलियाँ पीले धागे में बाँध कर केले के वृक्ष पर लटका देना चाहिए ।

3) एक नारियल पर कामिया सिंदूर, मौली तथा अक्षत के साथ पूजन करें तथा उसे किसी हनुमान मंदिर में चढा दें। 

4) पीपल के वृक्ष के जड़ में तेल का दीपक अर्पण करें तथा घर को लौट आवें याद रहे कि पीछे मुड़कर नही देखना है इससे आपको अवश्य ही धन का लाभ होगा।



1) 21 मंगलवार का नियमित व्रत रखने से व्यक्ति को राज सम्मान, पुत्र            सुख इत्यादि के लिए करना चाहिए।

2) जो व्यक्ति लड़ाई-झगड़ा, केस-मुकदमा तथा शत्रुओं से परेशान हो              उस व्यक्ति को अर्धरात्रि के समय 10 दिन तक लगातार हनुमान जी            के नौ सौ मंत्रों का पाठ करना चाहिए सफलता अवश्य कदम चुमेगी।


3) प्रातः काल शनिवार को स्नान इत्यादि कर के हनुमान जी की मुर्ति पर फूल, अक्षत, सिंदुर, चमेली का तेल और नारियल अर्पण करें एवं निम्न मंत्र का पाठ करें -
ओम बलसिद्धिकराय नमःए ओम वज्रकायाय नमःए ओम महावीराय नमःए ओम रक्षेविध्वंसकाराय नमः  ओम र्सवरोगाहरा नमः


4) शनिवार या मंगलवार को एकांत या महावीर मंदिर मेें जाकर                      बजरंगबली की पूजा करने के पश्चात बजरंग बाण का पाठ करें 

बजरंग बाण 
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं। दनुज वन कृशानुंए ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं। रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति तेए विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभए सिद्ध करैं हनुमान।।

चौपाई

जय हनुमन्त संत हितकारी !  सुन लीजै प्रभु अरज हमारी !!
जन के काज बिलम्ब न कीजै ! आतुर दौरि महासुख दीजै !!

जैसे  कूदी  सिन्धु  महि पारा !  सुरसा  बदन पैठी विस्तारा !!
आगे  जाय  लंकिनी  रोका द्य  मोरेहु  लात  गई  सुर  लोका !!

जाय विभीषण को सुख दीन्हा ! सीता निरखि परम.पद लीना !!
बाग़  उजारि  सिन्धु  मह बोरा !  अति आतुर जमकातर तोरा !!

अक्षय  कुमार  मारि  संहारा !   लूम  लपेटि  लंक  को  जारा !!
लाह  समान  लंक  जरि  गई !  जय.जय  धुनि सुरपुर में भई !!

अब  बिलम्ब केहि कारन स्वामी !  कृपा करहु उर अन्तर्यामी !!
जय जय लखन प्रान के दाता ! आतुर होई  दुरूख करहु निपाता !!

जै  गिरिधर  जै जै  सुख सागर !  सुर.समूह.समरथ  भट.नागर !!
ॐ  हनु हनु  हनु हनुमंत हठीले !  बैरिहि  मारु  बज्र की  कीले !!

गदा   बज्र   लै  बैरिहि  मारो !  महाराज   प्रभु   दास   उबारो !!
ॐकार हुंकार महा प्रभु धाओ ! बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ !!

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत  कपीसा !  ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर.सीसा !!
सत्य  होहु  हरी  शपथ  पायके !  राम  दूत  धरु  मारू  जायके !!

जय जय जय हनुमन्त अगाधा ! दुःख पावत जन केहि अपराधा !!
पूजा   जप  तप  नेम  अचारा !  नहिं   जानत  हो  दास  तुम्हारा !!

वन उपवन  मग गिरि गृह मांहीं ! तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं !!
पायं परौं कर जोरी मनावौं ! येहि अवसर अब केहि गोहरावौं !!

जय   अन्जनी  कुमार  बलवंता !   शंकर  सुवन  वीर  हनुमंता !!
बदन कराल काल कुलघालक ! राम सहाय सदा प्रतिपालक !!

भूत   प्रेत   पिसाच   निसाचर ! अग्नि  वैताल  काल  मारी  मर !!
इन्हें  मारु तोहि शपथ राम की ! राखउ नाथ मरजाद नाम की !!

जनकसुता  हरि  दास कहावो !  ताकी  शपथ विलम्ब  न लावो !!
जै जै जै  धुनि  होत अकासा ! सुमिरत होत  दुसह दुःख  नासा !!

चरण शरण कर जोरि मनावौं ! यहि अवसर अब केहि गोहरावौं !!
उठु  उठु  चलु  तोहि  राम.दोहाई ! पायँ  परौंए कर जोरि मनाई !!

ॐ चं चं चं चं   चपल   चलंता !  ॐ हनु हनु  हनु हनु  हनुमन्ता !!
ॐ हं हं हाँक देत  कपि चंचल ! ॐ सं सं सहमि पराने खल.दल !!

अपने  जन  को  तुरत  उबारौ !   सुमिरत  होय  आनंद  हमारौ !!
यह  बजरंग  बाण  जेहि  मारै !  ताहि  कहो   फिर कोन  उबारै !!

पाठ  करै   बजरंग  बाण  की !   हनुमत   रक्षा   करैं   प्रान  की !!
यह    बजरंग   बाण   जो  जापैं !   ताते   भूत.प्रेत    सब    कापैं !!

धूप   देय   अरु   जपै  हमेशा !   ताके   तन   नहिं   रहै   कलेस !!

दोहा

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत हीए सिद्ध करैं हनुमान।।


5) तुलसीदास कृत हनुमान चालीसा खुद में हज़ारों और लाखों मन्त्रों के समान शक्तिशाली बताई गयी है। यदि हनुमान चालीसा का पाठ शुद्ध -  शुद्ध नियमित रूप से करने करने पर व्यक्ति सभी प्रकार के  दुःखों से मुक्त हो जाता है।

दोहा :

श्रीगुरु   चरन  सरोज   रजए   निज   मनु  मुकुरु  सुधारि।
बरनऊं  रघुबर   बिमल  जसुए   जो  दायकु  फल चारि।।
बुद्धिहीन     तनु     जानिकेए      सुमिरौं     पवन.कुमार।
बल    बुद्धि    बिद्या    देहु   मोहिंए हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत  अतुलित  बल  धामा।   अंजनि.पुत्र  पवनसुत  नामा।।

महाबीर   बिक्रम   बजरंगी।   कुमति  निवार सुमति के संगी।।

कंचन  बरन  बिराज  सुबेसा।   कानन  कुंडल  कुंचित केसा।।

हाथ  बज्र  औ   ध्वजा   बिराजै।   कांधे   मूंज   जनेऊ   साजै।।

संकर   सुवन   केसरीनंदन।   तेज   प्रताप  महा  जग  बन्दन।।

विद्यावान   गुनी   अति  चातुर।  राम  काज  करिबे को आतुर।।

प्रभु  चरित्र सुनिबे  को रसिया। राम लखन  सीता  मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम  रूप   धरि  असुर  संहारे।   रामचंद्र  के   काज   संवारे।।

लाय   सजीवन   लखन   जियाये।   श्रीरघुबीर  हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत  बड़ाई।  तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो  जस गावैं।  अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक  ब्रह्मादि  मुनीसा।  नारद  सारद  सहित  अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं  कीन्हा।   राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो  मंत्र  बिभीषन  माना।  लंकेस्वर  भए  सब जग जाना।।

जुग  सहस्र  जोजन  पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम  काज  जगत  के  जेते।     सुगम  अनुग्रह  तुम्हरे  तेते।।

राम   दुआरे   तुम  रखवारे।   होत   न   आज्ञा   बिनु  पैसारे।।

सब  सुख  लहै  तुम्हारी  सरना।  तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन   तेज   सम्हारो  आपै।    तीनों  लोक  हांक  तें  कांपै।।

भूत  पिसाच  निकट  नहिं  आवै।   महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै   रोग   हरै  सब  पीरा।   जपत   निरंतर  हनुमत  बीरा।।

संकट तें  हनुमान  छुड़ावै।  मन  क्रम  बचन  ध्यान जो लावै।।

सब  पर  राम तपस्वी राजा।  तिन के काज सकल तुम साजा।

और  मनोरथ  जो  कोई  लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों   जुग   परताप तुम्हारा।   है  परसिद्ध  जगत उजियारा।।

साधु.संत   के   तुम  रखवारे।   असुर  निकंदन  राम दुलारे।।

अष्ट  सिद्धि  नौ निधि  के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।

राम  रसायन  तुम्हरे  पासा।   सदा   रहो   रघुपति  के दासा।।

तुम्हरे  भजन  राम  को  पावै।  जनम.जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल  रघुबर  पुर  जाई।  जहां  जन्म  हरि.भक्त कहाई।।

और  देवता  चित्त  न  धरई।   हनुमत  सेइ  सर्ब  सुख करई।।

संकट   कटै   मिटै   सब  पीरा।  जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै   हनुमान  गोसाईं।   कृपा  करहु  गुरुदेव  की  नाईं।।

जो  सत  बार  पाठ  कर  कोई।   छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो  यह  पढ़ै  हनुमान  चालीसा।   होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास   सदा  हरि  चेरा।   कीजै  नाथ  हृदय  मंह  डेरा।।


दोहा 


पवन तनय संकट हरनए मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहितए हृदय बसहु सुर भूप।।



6) यदि आप अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो निम्न मंत्र का          जाप करें शीघ्र ही आपके सारे कष्ट दुर हो जायेंगे-


ॐ हं हनुमंतये नमरू ।   (भय नाश करने के लिए)

ऊँ हुँ हुँ हनुमतये फट्।  ऊँ पवन नन्दनाय स्वाहा।

ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् (द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र)


7) मंगलवार के दिन स्नान इत्यादि करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें तत्पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें इससे व्यक्ति समस्त सुखों को भोगता है तथा उसका मंगल दोष शांत हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति का मंगल कमजोर एवं अशुभ होता है तो उसे विद्या, विवाह, संतान, धन तथा भूमि संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है-


ॐ रूवीर्य समुभ्दवाय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ तेजसे नमः
ॐ प्रसन्नात्मने नमः
ॐ शुराय नमः

8) हनुमान मनोकामना मंत्र -


महाबलाय बीराय चिरंजिवीन उद्दते ।
हारिणे वज्र देहाय चोलंग्धितमहाव्यये।

9) संकट दूर करने के लिए  -


ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहाद्य


8) बीज मंत्र - हं हनुमंते नमः इस मंत्र का जप करने पर हनुमान जी                  प्रसन्न  हो जाते हैं तथा जातक पर कृपा की वर्षा करते हैं।  

10) यदि जातक भूत प्रेत जैसे बाधाओं से ग्रसित है तो निम्न मंत्र के जप से          भयमुक्त हो जाता है -


हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबलरूण् अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते!

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।

प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन। जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।

11) व्यक्ति अपने संकट को दूर करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग कर                सकते हैं यह मंत्र बहुत प्रभावशाली है -


ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा:

12) जातक यदि कर्ज के बोझ से दब गया हो तो उसके निवारण के लिए            निम्न मंत्र का प्रयोग करना चाहिए -


ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा:


13) जिस जातक का शनि का महादशा, शनि की साढे साती या ढैया चल रहा हो उस जातक को हनुमान चालीसा के साथ सुन्दरकांड का पाठ भी करना चाहिए। सुन्दरकांड का पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है तथा शनि के किसी प्रकार की दशा हो उसमें काफी राहत मिलती है। जब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाए या कोई कार्य सफल नहीं हो रहा हो तो सुन्दरकांड का पाठ करना चाहिए। इस तथ्य को वैज्ञानिकता के साथ कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी।

14) हनुमान जी के 12 स्वरूपों की तश्वीर सामने रख कर पूजा-पाठ करके इस मंत्र का पाठ करें - 


हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबलरू। रामेष्टरू फाल्गुनसखरू पिङ्गाक्षोमितविक्रमरू।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनरू। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनरू। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यरू पठेत्।। तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।




15) श्री रामचन्द्रजी की 108 नामवली का जाप करना चाहिए -

ॐ राम रामाय नम:, ॐ राम भद्राया नम:, ॐ राम चंद्राय नम:, ॐ राम शाश्वताया नम:, ॐ राजीवलोचनाय नम:, ॐ वेदात्मने नम:, ॐ भवरोगस्या भेश्हजाया नम:, ॐ दुउश्हना त्रिशिरो हंत्रे नम:, ॐ त्रिमुर्तये नम:, ॐ त्रिगुनात्मकाया नम:, ॐ श्रीमते नम:, ॐ राजेंद्राय नम:, ॐ रघुपुंगवाय नम:, ॐ जानकिइवल्लभाय नम:, ॐ जैत्राय नम:, ॐ जितामित्राय नम:, ॐ जनार्दनाय नम:, ॐ विश्वमित्रप्रियाय नम:, ॐ दांताय नम:, ॐ शरणात्राण तत्पराया नम:, ॐ वालिप्रमाथानाया नम:, ॐ वाग्मिने नम:, ॐ सत्यवाचे नम:, ॐ सत्यविक्रमाय नम:, ॐ सत्यव्रताय नम:, ॐ व्रतधाराय नम:,  ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नम:, ॐ कौसलेयाय नम:, ॐ खरध्वाण्सिने नम:, ॐ विराधवाधपन दिताया नम:, ॐ विभीषना परित्रात्रे नम:, ॐ हरकोदांद खान्दनाय नम:, ॐ सप्तताला प्रभेत्त्रे नम:, ॐ दशग्रिइवा शिरोहराया नम:, ॐ जामद्ग्ंया महादर्पदालनाय नम:, ॐ तातकांतकाय नम:, ॐ वेदांतसाराय नम:, ॐ त्रिविक्रमाय नम:, ॐ त्रिलोकात्मने नम:, ॐ पुंयचारित्रकिइर्तनाया नम:, ॐ त्रिलोकरक्षकाया नम:, ॐ धंविने नम:, ॐ दंदकारंय पुण्यक्रिते नम:, ॐ अहल्या शाप शमनाय नम:, ॐ पित्रै भक्ताया नम:, ॐ वरप्रदाय नम:, ॐ राम जितेंद्रियाया नम:, ॐ राम जितक्रोधाय नम:, ॐ राम जितामित्राय नम:, ॐ राम जगद्गुरवे नम:, ॐ राम राक्षवानरा संगथिने नम:, ॐ चित्रकुउता समाश्रयाया नम:, ॐ राम जयंतत्रनवरदया नम:, ॐ सुमित्रापुत्र सेविताया नम:, ॐ सर्वदेवादि देवाय नम:, ॐ राम मृतवानर्जीवनया नम:, ॐ राम मायामारिइचहंत्रे नम:, ॐ महादेवाय नम:, ॐ महाभुजाय नम:, ॐ सर्वदेवस्तुताय नम:, ॐ सौम्याय नम:, ॐ ब्रह्मंयाया नम:, ॐ मुनिसंसुतसंस्तुतया नम:, ॐ महा योगिने नम:, ॐ महोदराया नम:, ॐ सच्चिदानंद विग्रिहाया नम:, ॐ परस्मै ज्योतिश्हे नम:, ॐ परस्मै धाम्ने नम:, ॐ पराकाशाया नम:, ॐ परात्पराया नम:, ॐ परेशाया नम:, ॐ पारगाया नम:, ॐ पाराया नम:, ॐ सर्वदेवात्मकाया परस्मै नम:, ॐ सुग्रिइवेप्सिता राज्यदाया नम:, ॐ सर्वपुंयाधिका फलाया नम:, ॐ स्म्रैता सर्वाघा नाशनाया नम:, ॐ आदिपुरुष्हाय नम:, ॐ परमपुरुष्हाय नम:, ॐ महापुरुष्हाय नम:, ॐ पुंयोदयाया नम:, ॐ अयासाराया नम:, ॐ पुरान पुरुशोत्तमाया नम:, ॐ स्मितवक्त्राया नम:, ॐ मितभाश्हिने नम:, ॐ पुउर्वभाश्हिने नम:, ॐ राघवाया नम:, ॐ अनंतगुना गम्भिइराया नम:, ॐ धिइरोत्तगुनोत्तमाया नम:, ॐ मायामानुश्हा चरित्राया नम:, ॐ महादेवादिपुउजिताया नम:, ॐ राम सेतुक्रूते नम:, ॐ जितवाराशये नम:, ॐ सर्वतिइर्थमयाया नम:, ॐ हरये नम:, ॐ श्यामानगाया नम:, ॐ सुंदराया नम:, ॐ शुउराया नम:, ॐ पितवाससे नम:, ॐ धनुर्धराया नम:, ॐ सर्वयज्ञाधिपाया नम:, ॐ यज्वने नम:, ॐ जरामरनवर्जिताया नम:, ॐ विभिषनप्रतिश्थात्रे नम:, ॐ सर्वावगुनवर्जिताया नम:, ॐ परमात्मने नम:, एवं ॐ परस्मै ब्रह्मने नम: !

16) फिर श्रीहनुमान जी का 108 नामों का जाप करना चाहिए -

ॐ हनुमते नमः, ॐ श्रीप्रदाया नमः, ॐ वायुपूत्राया नमः, ॐ अजराया नमः, ॐ अमृत्याया नमः, ॐ मारुताथमज़ाया नमः, ॐ विराविराया नमः, ॐ ग्रामवासाया नमः, ॐ जनश्रयड़ायाया नमः, ॐ रुद्राया नमः, ॐ अनागाया नमः, ॐ धनदायाया नमः, ॐ अकायाये नमः, ॐ विरये नमः, ॐ वागमिने नमः, ॐ पिंगाकशाये नमः, ॐ वारदाये नमः, ॐ सीता शोकविनाशनाये नमः, ॐ रक्तावाससे नमः, ॐ शिवाये नमः, ॐ निधिपटये नमः, ॐ मुनाये नमः, ॐ शरवाये नमः, ॐ व्यक्ताव्यकताये नमः, ॐ रासाधराये नमः, ॐ पिंगाकेशाये नमः, ॐ पिंगरोमने नमः, ॐ श्रुतिगामयाये नमः, ॐ सानातनाया नमः, ॐ पराये नमः, ॐ अव्यकताये नमः, ॐ अनादाये नमः, ॐ भगवाते नमः, ॐ डेवाये नमः, ॐ विश्वहेटावे नमः, ॐ निराश्रयाये नमः, ॐ आरोगयकारते नमः, ॐ विश्वेश्वाये नमः, ॐ विश्वानायाकाये नमः, ॐ हरिश्वराये नमः, ॐ विश्वमुरताया नमः, ॐ विश्वकाराये नमः, ॐ विषडाये नमः, ॐ विश्वात्मनाय नमः, ॐ विश्वाहाराया नमः, ॐ राव्याय नमः, ॐ विश्वचेशलाये नमः, ॐ विश्वासेवायाय नमः, ॐ विश्वाया नमः, ॐ विश्वागम्याय नमः, ॐ विश्वाध्ययाये नमः, ॐ बालाये नमः, ॐ वृधाध्यये नमः, ॐ यूनाया नमः, ॐ कलाधराये नमः, ॐ प्लावंगगमये नमः, ॐ कपिशेषतया नमः, ॐ विडयाये नमः, ॐ ज्येष्ताये नमः, ॐ तटवाये नमः, वनचराये नमः, ॐ तत्वगामयये नमः, ॐ सखये नमः, ॐ अजाये नमः, ॐ अंजनीसूनावे नमः, ॐ अवायगराये नमः, ॐ भार्गाये नमः, ॐ रामाये नमः, ॐ रामभक्ताये नमः, ॐ कल्याणाये नमः, ॐ प्राकृतिस्तिराया नमः, ॐ विश्वंभाराये नमः, ॐ ग्रामासवंताय नमः, ॐ धराधराय नमः, ॐ भुरलोकाय नमः, ॐ भुवरलोकाय नमः, ॐ स्वर्गालोकाया नमः, ॐ महालोकाय नमः, ॐ जनलोकाय नमः, ॐ तापसे नमः, ॐ अव्यायाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ ओंकार्जमयाये नमः, ॐ प्राणवाये नमः, ॐ व्यापकाये नमः, ॐ अमलाये नमः, ॐ शिवधर्मा.प्रतिष्ताये नमः, ॐ रमेशतात्राया नमः, ॐ फाल्गुणप्रियायेया नमः, ॐ राक्षोधनाया नमः, ॐ पंदारिकाक्षायाया नमः, ॐ दिवाकाराया नमः, ॐ समप्रभाये नमः, ॐ द्रोनहार्ताया नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ गोसपदिकृताया नमः, ॐ वारिशाये नमः, ॐ पूर्णकमाया नमः, ॐ धरा धिप्प्याय नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ मारकायाया नमः, ॐ रामदूठाया नमः, ॐ कृष्णाया नमः, ॐ शरणागतवत्सलाया नमः, ॐ जानकीपराणदाताया नमः, ॐ रक्षप्रानहारकाया नमः, ॐ पूर्णाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ पितावाससेया नमः एवं ॐ डेवाया नमः !


17) हनुमान बाहुक का पाठ करना चाहिए यह आपको किसी धार्मिक पुस्तक की दुकान में आसानी से मिल जायेगा । हनुमान बाहुक का निरन्तर पाठ करने से मनोवांछित मनोरथ की प्राप्ति होती है। शारीरिक रोगों के अतिरिक्त और भी सब प्रकार की लौकिक बाधाएँ इस स्तोत्र से निवृत होती हैं। इससे मानसरोग मोहए कामए क्रोधए लोभ एवं राग.द्वेष आदि तथा कलियुग कृत बाधाएँ भी नष्ट हो जाती हैं।


           आशा करता हुँ कि जातक को इस परिचर्चा से लाभान्वित होंगे एवं इसके प्रयोग से कष्ट का निवारण होगा। यदि जातक को इससे फायदा होता है तो अवश्य हमें सूचित करें हमें प्रसन्नता होगी और मेरा इस संकलन का अथक प्रयास सार्थक सिद्ध होगा।


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मिथुन राशि वालों के लिए मित्र और शत्रु ग्रह !

मेष राशि नमस्कार दोस्तों, आज से सभी 12 राशियों की जानकारी देने के लिए   एक श्रृंखला सुरू करने जा रही हैं जिसमे हर दिन एक एक राशि के बारे में...