सरस्वती वंदना
जयति जय माँ वरदायनी।।
ज्ञान पुँज से ज्योति जगा दे।
दया मातु एक बार तु कर दे।
निश्कलंक चरित गुण कर दे।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
नवल चेतना बाल बृन्द में भर दे।
नवल कंठ वह नवल छन्द दे।
माता स्वर में स्वर तू भर दे।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जप तप नही जानु, अर्घ मंत्र दे।
काट सकु मैं अंधकार को शस्त्र दे।
मै मूरख, तू ज्ञान का दिव्यास्त्र दे।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
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