सरस्वती वंदना
जयति जय माँ वरदायनी।।
ज्ञान पुँज से ज्योति जगा दे।
दया मातु एक बार तु कर दे।
निश्कलंक चरित गुण कर दे।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
नवल चेतना बाल बृन्द में भर दे।
नवल कंठ वह नवल छन्द दे।
माता स्वर में स्वर तू भर दे।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
जप तप नही जानु, अर्घ मंत्र दे।
काट सकु मैं अंधकार को शस्त्र दे।
मै मूरख, तू ज्ञान का दिव्यास्त्र दे।।
जयति जय माँ शारदे।
जयति जय माँ वरदायनी।।
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जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती की कृपा सदा आप पर बनी रहे
जवाब देंहटाएंJai ma saraswati
जवाब देंहटाएंJai maa saraswati
जवाब देंहटाएंSaraswati Vandna khfi sunder hai
जवाब देंहटाएंJai Maa Saraswati
जवाब देंहटाएंJai Maa Saraswati
जवाब देंहटाएंJai maa saraswati
जवाब देंहटाएंJai maa sharde
जवाब देंहटाएंJai veenavadini
जवाब देंहटाएंSaraswati Mata ki jai
जवाब देंहटाएंGood Poem
जवाब देंहटाएंvery nice saraswati poem
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंJai Maa Saraswati
जवाब देंहटाएंबोहोत अच्छा
जवाब देंहटाएंNice Poem
जवाब देंहटाएंVery Nice Poem
जवाब देंहटाएंबोहोत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंVery Nice
जवाब देंहटाएंMaa Saraswai par ek umda kavita hai
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