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गुरुवार, 22 मार्च 2018

श्री राम नाम की महिमा


 श्री राम नाम की महिमा


           मर्यादापुरूषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष में नवमी तिथि को अयोध्या में हुआ था। पौराणिक कथानुसार त्रेता युग में जिस समय पुर्नवसु नक्षत्र में कर्क लग्न में सूर्यदेव पांच ग्रहों के शुभ दृष्टि के साथ मेंष राशि में विचरण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु अपने सातवें अवतार के रूप में माता कौशल्या के गर्भ से श्याम वर्ण, मुख पर मनमोहक आकर्षण एवं कांतियुक्त बालक के रूप में महाराज दशरथ के घर मे अवतरित हुए थे।

अगस्त्य संहिता के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचार को समाप्त करने तथा धर्म की पुर्न स्थापना के लिए भगवान श्री राम का जन्म पृथ्वी पर हुआ था। आपने कभी गौर किया है कि देवों के देव महादेव हमेशा ध्यान में रहते हैं ? कभी सोचा है कि वे किसका ध्यान करते हैं ? क्या जपते रहते हैं ? राम का नाम। इस नाम के जप से ही महादेव अविनाशी हैं। अतः राम का नाम जपना, लिखना एवं श्रवण करना ही मानव उत्थान का एकमात्र सरल उपाय है। राम नाम की इतनी महत्ता है, और मेरा ज्ञान अपर्याप्त है कि इसके विश्लेषण कर सकुँ, मै केवल इतना कह सकता हुँ कि जहाँ तक हो सके जीवन पर्यन्त हर व्यक्ति को इसका जप करते रहना चाहिए।


अखंड भारतवर्ष में   मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम को मर्यादा मर्यादापुरूषोत्तम के रूप में जाना जाता है, भगवान श्री राम ने अपने हर रूप में आदर्श स्थापित किया है चाहे वह एक पुत्र के रूप में हो, एक शासक के रूप में, भाई, पति या पिता सभी चरित्र में उन्होंने मर्यादा की स्थापना की है इसीलिए उन्हें मर्यादा  पुरूषोत्तम कहा जाता है। राम नाम हिन्दु धर्म, हिन्दु संस्कार के प्राण हैं, अयोध्या एवं राम हिन्दुओं की मान बिन्दु है। कहा जाता है कि तराजू के एक पलडे़ में समस्त मंत्र-तंत्र तथा दूसरे में यदि राम नाम लिख रख दिया जाय तो भी सब मिलकर भी राम नाम की तुलना नहीं कर सकते। 

राम नाम एवं जप के लाभ -

1,25,000 जाप से वर्तमान जीवन के सभी पापों का नाश हो जाता है।

2,25,000 जाप से सभी पापों का नाश हो जाता है तथा विपरीत ग्रहों की दशा सुधरने लगती है।

5,00,000 जाप से श्री राम की भक्ति प्राप्त होती है। 

10,00,000 जाप से पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है।

25,00,000 जाप से मनुष्य जिन्दगी के सभी सुखों को भोगता है एवं मुक्ति प्राप्त होती है।

50,00,000 जाप से सभी तरह के पूण्य एवं यज्ञों का फल मिलता है। 

75,00,000 जाप से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और अखण्ड भक्ति का फल मिलता है। 

1,00,00,000 जाप से अश्वमेध यज्ञ का दोगुना फल मिलता है एवं मोक्ष को प्राप्त करते हुए विष्णु लोक में स्थान मिलता है।

           तुलसीदास जी कहते है कि कलियुग में मात्र राम नाम की महिमा जपने से ही मानव का कल्याण संभव है। इस नाम की महिमा हर युग-युगांतर मेे महानता का परिचय दिया है। राम नाम जप से ही भक्त प्रह्लाद हो, अहिल्या हो या शबरी सभी ने अपने जीवन को राम नाम से सफल किया। राम नाम की इतनी महिमा है कि इस नाम को किसी भी रूप में लिया जाय इसका फल व्यर्थ नही जाता है। चाहे मजाक उड़ाने के रूप में हो, तिरस्तार करने के लिए क्यों न हो यह नाम सम्पूर्ण पापो का नाश करने वाला होता है। महर्षि नारद जी ब्रम्हाजी को कहते हैं कि कोई ऐसा उपाय बताइये जिससे मैं काल-जाल के चक्कर में हों। तो ब्रम्हा जी कहते हैं कि -

आदिपुरूषस्य नारायणस्य नामोच्चारणमात्रेण निर्धूत।

           ऐसी मान्यता है कि रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस का श्रीगणेश किया था। भगवान श्री राम के जन्म पर अयोध्यावासीओं ने श्श्री राम चंद्र कृपालु भजमनश् जैसे स्तुती से  जन्मोत्सव मनाया था।

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणंए,
नवकंज लोचनए कंजमुख करए कंज पद कंजारुणं,

कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम,
पट पीत मानहु तडित रूचि.शुची नौमीए जनक सुतावरं,

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंष निकन्दनं,
रघुनंद आनंद कंद कोशल चन्द्र दशरथ नंदनमण्

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभुशनम,
आजानुभुज शर चाप.धरए संग्राम.जित.खर दूषणंण्

इति वदति तुलसीदासए शंकर शेष मुनि.मन.रंजनं,
मम ह्रदय कंज निवास कुरुए कामादि खल.दल.गंजनंण्

एही भांति गोरी असीस सुनी सिय सहित हिं हरषीं अली,
तुलसी भावानिः पूजी पुनि.पुनि मुदित मन मंदिर चलीण्

जानी गौरी अनूकोलए सिया हिय हिं हरषीं अली,
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगेण्

           मैं तो एक तुच्छ मानव हुँ मुझमें इतना सामथ्र्य कहाँ ? कि मैं राम नाम का वर्णन कर सकुँं वास्तव में इस ब्रम्हाण्ड में राम नाम से अधिक कुछ भी नहीं है। राम नाम भी है राम मंत्र भी है और राम तंत्र भी है, राम से बड़ा राम का नाम है। जिस शब्द मात्र के उच्चारण से डाकू रत्नाकर भी मरा-मरा से राम-राम कहते हुए महान ऋषि के रूप में प्रसिद्ध हो गये। कबीरदास के शब्दों मेें श् जिसके भृकुटि विलास मात्र से प्रलय हो सकता है, उसके नाम की महिमा तुम क्या कर सकोगे। महाकवि तुलसीदास जी कहते है - रामनाम की औषधि खरी नियत से खाय। अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाय।। राम नाम की महिमा से अंग्रेज भी चमत्कृत थे, कलकŸाा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश सर जाॅन वुड्राॅफ इससे इतना प्रभावित हुए कि भारत के विभिन्न ज्ञानियों एवं तांत्रिकों से अघ्ययन कर प्रकाण्ड विद्वान हो गये और उन्होंने आधुनिक युग में मंत्र शक्ति एवं हिन्दु चिंतन पर कई पुस्तकों की रचना कर डाली। 
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