साथियों कोई भी व्यक्ति जान बूझ कर कर्ज नहीं लेता है जीवन मेें कुछ ऐसी परिस्थितियाँ आती है जब मनुष्य को किसी न किसी से कर्ज लेना पड़ता है। और ये कर्ज सुरसा की तरह अपना मुँह फैलाये सारे आय को निगल जाता है। आजकल आधुनिक सुख सुविधा की पूर्ति के लिए भी बैंक से कर्ज लेते हैं जिसे चुकाने के लिए उन्हें नाकों चने चबाना पड़ता है। धीरे-धीरे यह कर्ज तथा उसका व्याज बढता चला जाता है और व्यक्ति आर्थिक बोझ से दब जाता है। यदि आप भी इन कालजयी कर्ज के चक्कर में फंस गयें हो तथा लाख कोशिश के बावजूद कर्ज के बोझ से बाहर नहीं निकल पा रहें हों तो आइये मैं यहाँ कुछ मंत्र एवं कुछ टोटके बताने जा रहा हूँ जिसके प्रयोग से आप आसानी से कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं -
1) ऊँ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः
2) ऊँ मंगलमूर्तये नमः।
3) ऊँ गं ऋणहर्तायै नमः। (इन मंत्रो में से किसी एक मंत्र का नित्य 108 बार जाप करें)
4) ऊँ भू र्भूवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो ये नः प्रचोदयाद (सफेद कपड़ा में पाँच गुलाब फूल लेकर मंत्र का जाप करें)
5) मंगलवार को हनुमान जी का पूजन करें एवं ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥2॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥3॥
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥4॥
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥5॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥6॥
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥7॥
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥ 8 द्यद्य
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥9॥
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥10॥
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥11॥
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥12॥
द्यद्य इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम् !!
6) मंगलवार एवं शिनिवार को हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का पाठ करें।
8) हर महीने में शिवरा़ित्र (मासिक शिवरात्रि-कुष्ण पक्ष की चर्तुदशी) आती है तो उस दिन संध्या काल में शिव मंत्र का जाप करें एवं शिवमंदिर में दीप दान करें।
9) त्रयोदशी को मंगलवार (भौम प्रदोष योग मेें) के दिन नमक एवं मिर्च का परित्याग करें संध्या काल शिवजी का पूजन करें एवं निम्न मंत्र का जाप करें -
मुत्युंजयमहादेवाय त्राकिमां शरणागतम्। जनममृत्युराव्याधिपीड़ितः कर्मबन्धनःै।।
10) आसमान में उड़ते हुए गरूड़ का दर्शन करें एवं भगवान वंेकटेश्वर मंदिर में सुदर्शन होम करें।
11) नवरात्र में आठ अक्षरों का 1 अद्भुत मंत्र ऊँ ही्रं दुर्गाय नमः। का जाप करें।
12) ॐ भूरिदा भूरि देहिनोए मादभ्रं भूर्या भर। भूरि धेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरि दाह्यसि श्रुतः पुरुजा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
इस ऋगवेद मंत्र का जाप करें।
13) गजेन्द्र-मोक्ष-स्तोत्र का पाठ करें।
14) ऋण.परिहारक प्रदोष.व्रत
ष्प्रदोष व्रत के दिन अर्थात् कृष्ण.पक्ष एवं शुक्ल.पक्ष की त्रयोदशी तेरसद्ध तिथि को प्रातःकाल स्नानादि कर भगवान् शंकर का यथा.शक्ति पञ्चोपचार या षोडशोपचार से पूजन करें। फिर निम्नलिखित ष्विनियोगष् आदि कर निर्दिष्ट मन्त्र का यथाशक्ति २१ए ११ए १ माला या केवल ११ बार जप करे।
विनियोगः. ॐ अस्य अनृणा.मन्त्रस्य श्रीऋण.मुक्तेश्वरः ऋषिः। त्रिष्टुप् छन्दः। रुद्रो देवता। मम ऋण.परिहारार्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादि.न्यासः. श्रीऋण.मुक्तेश्वरः ऋषये नमः शिरसि। त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे। रुद्र.देवतायै नमः हृदि। मम ऋण.परिहारार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे।
कर.न्यासः. ॐ अनृणा अस्मिन् अंगुष्ठाभ्यां नमः। अनृणाः परस्मिन् तर्जनीभ्यां नमः। तृतीये लोके अनृणा स्याम मध्यमाभ्यां नमः। ये देव.याना
अनामिकाभ्यां नमः। उत पितृ.याणा कनिष्ठिकाभ्यां नमः। सर्वाण्यथो अनृणाऽऽक्षीयेम करतल.कर.पृष्ठाभ्यां नमः।
अङग.न्यासः. ॐ अनृणा अस्मिन् हृदयाय नमः। अनृणाः परस्मिन् शिरसे स्वाहा। तृतीये लोके अनृणा स्याम शिखायै वषट्। ये देव.याना कवचाय हुम्। उत पितृ.याणा नेत्र.त्रयाय वौषट्। सर्वाण्यथो अनृणाऽऽक्षीयेम अस्त्राय फट्।
ध्यानः.
ध्याये नित्यं महेशं रजत.गिरि.निभं चारु.चन्द्रावतंसम्ए
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशु.मृग.वराभीति.हस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममर.गणैर्व्याघ्र.कृत्तिं वसानम्ए
विश्वाद्यं विश्व.बीजं निखिल.भय.हरं पञ्च.वक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
15) श्री सूक्त का पाठ करते हुए घी की आहूति देें।
16) ऊँ ऋणमोचने स्वाहा।
17) कर्ज से मुक्ति पाने के लिए गणेश जी का पूजन करना चाहिए तथा इस मंत्र का जाप करना चाहिए -
ऊँ गणेश ऋणं छिन्दिं वरेण्यं, हुम फट् स्वाहा।
18) ऊँ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान् ऋणात् दŸाात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये।। का पाठ करें।
नवरात्र में राशि के अनुसार पूजा एवं जप -
मेष राशि - इस राशि के लोग अगर माँ दूर्गा के पंचम स्वरूप स्कंद माता की पूजा निष्ठा के साथ करें तो उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
वृषभ राशि - इस राशि के लोगों को माँ दूर्गा के अष्टम स्वरूप माहागौरी की पूजा करना चाहिए उन्हें अवश्य मनचाहा फल की प्राप्ति होगी।
मिथुन राशि - मिथुन राशि के लोगों को माता दूर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रम्हचारिणी स्वरूप जो ज्ञान के प्रदाता हैं की आराधना करनी चाहिए।
कर्क राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए
सिंह राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के चतुर्थ स्वरूप कूष्माडेति का पूजन करना चाहिए
कन्या राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के द्वितीय ब्रम्हचारिणी स्वरूप का पूजन करना चाहिए
तुला राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के अष्टम स्वरूप महागौरी का पूजन करना चाहिए ।
वृश्चिक राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता का पूजन करना चाहिए ।
धनु राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के तृतीय स्वरूप चंन्द्रघण्टेति का पूजन करना चाहिए
मकर राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के सप्तम स्वरूप कालरात्रि का पूजन करना चाहिए ।
कुंभ राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के सप्तम स्वरूप कालरात्रि का पूजन करना चाहिए ।
मीन राशि - इस राशि के लोगोें को माँ दूर्गा के तृतीय स्वरूप चंन्द्रघण्टेति का पूजन करना चाहिए।
हमारे शास्त्रों में एवं ज्येतिषी विज्ञान के अध्ययन से जिन उपायों का पता चलता है यदि उन्हें श्रद्धा भाव से किया जाय तो कर्ज से मुक्ति संभव होने लगता है और व्यक्ति कर्ज से मुक्त होने लगता है -
1) शास्त्रों के अनुसार मंगलवार एवं बुधवार को कर्ज के लेन-देन करने से निषेध किया गया है इसका पालन करें।
2) शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें।
3) मंगल की भातपूजा, दान, होम एवं जाप करें।
4) लाल, सफेद वस्त्रों का अघिक से अधिक प्रयोग करें।
5) श्री गणेश भगवान को नित्य दूर्वा एवं मोदक का भोग लगाएं।
6) शिवलिंग पर गाय का दूध चढाएं।
7) कर्ज का पहला तथा हर किस्त मंगलवार को ही चुकाएं इससे कर्ज जल्द ही समाप्त हो जायेगा।
8) घर में दक्षिण-पश्चिम हिस्से में शौचालय नहीं बनाना चाहिए।
9) घर या दुकान में उŸार-पुर्व दिशा में काँच लगाना चाहिए।
10) घर या दुकार में जल का स्थान उŸार दिशा में रखना चाहिए।
11) रसोई घर का रंग नीला नहीं होना चाहिए।
12) प्रतिदिन लाल मसूर का दान करें।
13) वास्तु के अनुसार ईशान कोण को साफ-सुथरा रखें।
14) सिद्ध-कुंजिका-स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए।
15) घर की चैखट पर काले घोडे़ का नाल किसी योग्य पुरोहित से अभिमंत्रित कर लगाना चाहिए।
16) श्मशान के कुएं से जल निकाल कर पीपल के वृक्ष पर चढाना चाहिए।
17) सर्व-सिद्धि-बीसा-यंत्र धारण करना चाहिए।
18) हमेशा भोजन में गुड़ का प्रयोग करें।
19) ऋणमुक्ति की प्रार्थना करें और पूरी श्रद्धा के साथ नीचे लिखे मंत्र का जप करें।
मंत्र गणेश ऋण हिन्दी वरेण्यं हुं नम: फट्।
इस मंत्र के जप से शीघ्र ही आपको कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
20) तांबे के पात्र में लाल मिर्च के बीज डाल कर सूर्य को अघ्र्य देें।
21) नवरात्रि में गेहुं के आटे में अधिक मात्रा में जल मिलाकर लेइ बना लें फिर उसे बहते हुए नदी में प्रवाहित कर दें।
22) पिसे हुए कमलगट्टे को देसी घी में बनी बर्फी मिलाकर 21 आहूति देने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
23) कमल के फूल की पŸिायांँ लें इन पर मक्खन एवं मिश्री लगाएं अब
48 लौंग एवं 6 कपूर की आहूति देवी को अर्पण करें।
24) केले के जड़ में चावल रोड़ी, फूल, पानी डालें और नवमी के दिन इसके जड़ को अपने तिजोरी में रख लें।
25) चावल रोड़ी, फूल, धूप, दीप तथा पीली कौड़ी से हरसिंगार की जड़ की पूजा करें एवं उसे धारण कर लें।
26) बुधवार को स्नान करने के बाद सबसे पहले गाय को हरा घास खिलाना चाहिए।
27) नित्य प्रतिदिन चींटियों को गुड़ का चारा डालें।
28) मंगलवार को भूल कर भी कर्ज न लें।
29) गुरूवार को तुलसी में गाय का दूध चढाने से ऋण से मुक्ति मिलती है।
30) उŸार दिशा में भारी वस्तु न रखें।
31) हनुमान मंदिर में मंगलवार तथा शनिवार को तेल एवं सिंदुर चढावें।
32) शनिवार के दिन एक मिटटी के दिये में सरसों का तेल भरकर इसे अच्छी तरह से ढक दें अब इस दिये को किसी नदी या तालाब के किनारे मिट्टी में दबा दें।
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