महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
शनि की साढ़ेसाती, अढय्या शनिए पनौती.पंचम शनिए राहु.केतु पीड़ाए भाई का वियोगए मृत्युतुल्य विविध कष्टए असाध्य रोगए त्रिदोषजन्य महारोगए अपमृत्युभय आदि अनिष्टकारी योगों में महामृत्युंजय प्रयोग रामबाण औषधि है।
मारकेश ग्रह की दशा अन्तर्दशा में सविधि मृत्युंजय जप, रुद्राभिषेक एवं शिवार्जन से ग्रहजन्य एवं रोगजन्य अनिष्टकारी बाधाएँ शीघ्र नष्ट होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
अभीष्ट सिद्धि, संतान प्राप्ति, राजपद प्राप्ति, चुनाव में विजयी होने, मान.सम्मान, धन लाभ, महामारी आदि विभिन्न उपद्रवों, असाध्य एवं त्रिदोषजन्य महारोगादि विभिन्न प्रयोजनों में सविधि प्रमाण सहित महामृत्युंजय जप से मनोकामना पूर्ण होती है।
विभिन्न प्रयोजनों में अनिष्टता के मान से 1 करोड़ 24 लाख, सवा लाख, दस हजार या एक हजार महामृत्युंजय जप करने का विधान उपलब्ध होता है।देवता मंत्रों के अधीन होते हैं.
" मंत्रधीनास्तु देवताः। "
मंत्रों से देवता प्रसन्न होते हैं। मंत्र से अनिष्टकारी योगों एवं असाध्य रोगों का नाश होता है तथा सिद्धियों की प्राप्ति भी होती है।
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संपर्क सूत्र :
शिशिर पाठक
जन्म कुंडली एवं वास्तु विशेषज्ञ
76, को - ऑपरेटिव कॉलोनी।
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