मंगलवार, 20 मार्च 2018

चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा



           हिन्दू धर्म में नवरात्र का महत्व सबसे अधिक होता है। बहुत लोगों को यह नहीं पता होगा कि एक वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। अधिकतर लोगों को दो नवरात्र के बारे में पता होता है एक शारदीय नवरात्र एवं चैत्र नवरात्र, लेकिन भागवत पुराण के अनुसार दोनों के अलावे दो और गुप्त नवरात्र होता जो आषाढ माह के शुक्ल पक्ष एवं माघ माह में नवरात्र होती है जिसमें भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हंै। मत्स्य पुराण में पंच देवताओं का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार हैं सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव एवं विष्णु। माँ दुर्गा को शीध्र फलदाता माना गया है। 


इन चारो नवरात्र का अलग-अलग महत्व होता है। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा अर्चना से व्यक्ति को वैभव एवं भोग की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्र तंात्रिक सिद्धि के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होता है, लेकिन चैत्र माह में मां दुर्गा की उपासना आत्मशुद्धि एवं मुक्ति के लिए किया जाता है। चैत्र के नवरात्र से ही हिन्दू धर्म के पंचांग में नववर्ष की गणना की जाती है। इसी दिन 
से ज्योतिष विज्ञान में वर्ष के राजा, मंत्री एवं कृषि एवं फसल इत्यादि की गणना की जाती है। 
इसीलिए इस दिन को हिन्दु धर्म में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु मत्स्य अवतार चैत्र माह में लेकर पृथ्वी का निर्माण किया था और मर्यादा पुरूषोŸम राम का जन्म भी चैत्र माह में ही हुआ था। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन ही भगवती मां दूर्गा के कहने पर ब्रम्हा जी ने सृष्टि का निमार्ण सुरू किया था इसलिए चैत्र नवरात्र का महत्व और बढ जाता है।


नवरात्रि के नौ दिन भक्त अपने सुख, समृद्धि, कामना के लिए मां दूर्गा के नौ अवतार (सरस्वती, लक्ष्मी एवं दुर्गा) की पूजा करते हैं।

प्रथम शैलपुत्री।
द्वितीय ब्रम्हचारिणी।
तृतीय चंद्रघंटा।
चतुर्थ कुष्माण्डा।
पंचमं स्कंदमाता।
षष्टम कात्यानी।
सप्तमम कालरात्रि।
अष्टम महागौरी।
नवमं सिद्धिदात्री।

इन नौ रूप में मां दुर्गा की उपासना प्रतिप्रदा से नौवे दिन तक करने से भगवती प्रसंन्न होती हैं और भगवती अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, भोग एवं सिद्धि का वरदान देते हैं। मार्कण्डे पुराण में ब्रम्हा जी ने मानव काल्याणार्थ अतिगोपनीय मंत्र का वर्णन किया है, यदि इन मंत्रोें का विधिवत पाठ करने पर मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मौक्ष की प्राप्ति होती है। 

1) धन प्राप्ति के लिए -

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि 
दारिद्र्यदुरूखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता !!

2) अपना व्यक्तित्व एवं आकर्षण बढाने के लिए -


देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही साए 
बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति !!

3) विभिन्न तरह के उपद्रव से बचने के लिए -


रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र !


दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् !!

4) विपŸिायो के नाश के लिए -


देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य !


प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य !!

5) जिंदगी में सभी प्रकार के भूत, प्रेत या अन्य भय नाश के लिए -


सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते !


भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते !!

6) नौ दिन के अलग-अलग मंत्र -

प्रथम दिन - विशोका दुष्टदमनी शमनी दुरितापदाम् !
                        उमा गौरी सती चण्डी कालिका सा च पार्वती !!

दूसरे दिन - विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु!

                 त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः!!

तीसरे दिन - हिनस्ति दैत्य तेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् !

                   सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽनः सुतानिव !!

चतुर्थ दिन - स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता !

                  करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः !!

पंचम दिन - सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी ! 

                   परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी !!

षष्टम दिन - एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम् !

                  पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोेस्तुते !!

सप्तम दिन - त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमुर्धनि तेैपि हत्वा !

                    नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्त मस्माकमुन्मद सुरारिभवम्                      नमस्ते !!

अष्टम दिन - सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

                  शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।।

नवम दिन - या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां                           हृदयेषु बुद्धिः !

                 श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय                     देवि विश्वम् !!

7) माँ दुर्गा शाबर मंत्र -
                ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह.वाहिनी। बीस.हस्ती भगवतीए                                रत्न.मण्डित सोनन की माल। उत्तर.पथ में आप बैठीए हाथ                          सिद्ध  वाचा ऋद्धि.सिद्धि। धन.धान्य देहि देहिए कुरु कुरु स्वाहा।

8) विद्यार्थियों के लिए (बुद्धि बढाने के लिए) -

                बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे ! मूढत्वं च हरेद्देवि                        त्राहि  मां शरणागतम् !

9) मूर्खता से उबरने के लिए -
                जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला ! मूढ़ता हर मे देवि                    त्राहि मां शरणागतम् !!

10) दुश्मनो से रक्षा के लिए -
               सौम्यक्रोधधरे रुपे चण्डरूपे नमोऽस्तु ते ! सृष्टिरुपे नमस्तुभ्यं                       त्राहि मां शरणागतम् !!

11) शत्रु से भय निवारण के लिए -
               घोररुपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि ! भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां                   शरणागतम् !!

12) ज्ञान प्राप्ति हेतु -
               विद्या त्वमेव ननु बुद्धिमतां नराणां शक्तिस्त्वमेव किल शक्तिमतां                 सदैव ! त्वं कीर्तिकान्तिकमलामलतुष्टिरूपा मुक्तिप्रदा विरतिरेव                 मनुष्यलोके !!

13) श्री दुर्गा सप्तशत्याम् -

               मो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।
               नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ॥१॥

               रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः ।

               ज्योत्स्ना यै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥२॥

               कल्याण्यै प्रणतां वृध्दै सिध्दयै कुर्मो नमो नमः ।

               नैऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥३॥

               दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै ।

               ख्यातै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥४॥

               अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः ।

               नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः ॥५॥

               या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शाध्दिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥६॥

               या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥७॥

               या देवी सर्वभूतेषु बुध्दिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥८॥

               या देवी सर्वभूतेषु निद्रारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥९॥

               या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१०॥

               या देवी सर्वभूतेषु छायारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥११॥

               या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१२॥

               या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१३॥

               या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१४॥

               या देवी सर्वभूतेषु जातिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१५॥

              या देवी सर्वभूतेषु लज्जारुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१६॥

              या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१७॥

              या देवी सर्वभूतेषु श्रध्दारुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१८॥

              या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१९॥

              या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२०॥

              या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२१॥

              या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२२॥

              या देवी सर्वभूतेषु दयारुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२३॥

              या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२४॥

              या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२५॥

              या देवी सर्वभूतेषु भ्रांतिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२६॥

              इंद्रियाणामधिष्ठात्री भूतानं चाखिलेषु या ।

              भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ॥२७॥

              चितिरुपेण या कृत्सनमेद्वयाप्य स्थिता जगत् ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२८॥

              स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता ।

              करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्याभिहन्तु चापदः ॥२९॥

              या सांप्रतं चोध्दतदैत्यतापितैरस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते ।

              या च तत्क्षणमेव हन्ति नः सर्वापदो भक्ति विनम्रमूर्तिभिः ॥३०॥

              गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्तत्कृतं जपम् ।

              सिध्दिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादान्महेश्वरि ॥३१॥

                                   इति देवीसूक्तम् समाप्तम् ।


14) विघ्नों को दूर करने के लिए -


ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।


दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥

15) उपद्रव से बचने के लिए -


रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र।


दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्॥

16) स्वर्ग और मौक्ष की प्राप्ति के लिए -


सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।


त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥

17) भक्ति प्राप्ति के लिए -

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

18) प्रसन्नता प्राप्ति के लिए -


प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।


त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव॥

19) आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए -


देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।


रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

20) पाप से मुक्ति के लिए - 


हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।


सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव॥

21) भय एवं अशुभ प्रभाव का विनाश करने के लिए -


र्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। 


भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥


यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च।


सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु॥


22) जन कल्याण के लिए -


सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। 


शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥


देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या।


तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः॥



23) दुर्गा बीज मंत्र -


ॐ  एंे ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।


24) शक्ति प्राप्ति के लिए -


सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि। 


गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥

25) रक्षा के लिए - 


शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके। 


घण्टास्वनेन नरू पाहि चापज्यानिरूस्वनेन च॥

26) महामारी से बचने के लिए - 


ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। 


दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

27) सुंदर एवं सुलक्षणा पत्नि की प्राप्ति के लिए -


पत्नीं मनोरमा देहि मनोवृŸाानुसारिणीम्।


तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोभ्दवाम्।।

28) सभी तरह के कल्याण के लिए - 


देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भकत्या नतारू स्म विदधातु शुभानि सा नरू ।।

29) शत्रुओं के विनाश के लिए -


ॐ गिरिजायै विद्महे शिव धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् !



30) नवरात्र में महामृतुंजय मंत्र के जाप से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है इससे बड़ा से बड़ा मारकेष भी टल जाता है ! 




           यदि आप किसी विशेष परेंशानी में हों और लाख कोशिश के वावजूद आप उससे नहीं उबर पा रहें है तो चैत्र नवरात्र में कुछ अचूक टोटके हैं जिन्हें करने तुरंत प्रभाव दिखने लगता है। इस समय किये गये टोटके साधक की सभी मनोकामनाएंँ पूर्ण होती है। यहाँ कुछ टोटके दिये जा रहें हैं यदि उसमें से किसी एक या दो टोटके आप करते हैं तो निश्चित ही आपको माँ दुर्गा सफलता प्रदान करेंगी। 


सजा दरबार है और एक ज्योति जगमगाई है !
नसीब जागेगा उन जागरण करने वालो का,
वो देखो मंदिर में मेरी माता मुस्करायी है !


1) नवरात्रि के 9 दिन में से किसी एक दिन दुर्गा मंदिर में जाकर दरवाजे मे एक लाल धागा बांध दें और मां से अपनी समस्या आ मंन्नत मांगे चमत्कारिक रूप से लाभ मिलेगा।



2) नवरात्रि में प्रतिपदा से नवमी तक पीपल के पŸो पर राम लिखकर उसमें थोड़ा सा गुड़ रखकर हनुमान मंदिर में चढाएँ अपार धन की प्राप्ति होगी। (तांत्रिक उपाय)




3) भगवान शिव को प्रतिदिन चावल एवं विल्व पत्र चढाएँ। (तांत्रिक उपाय)



4) नवरात्र में आटे की लोई में गुड़ भारकर किसी नदी में बहा दें भारी से भारी कर्ज से मुक्ति मिलेगी।


5) नवरात्र में सफेद कपड़ा में पांच गुलाब, चाँदी का टुकड़ा और गुड़ रखकर 21 बार गायत्री मंत्र का जाप करके नदी में बहा दें कर्ज से मुक्ति मिलेगी।



6) नवरात्रि में निंबू एवं मिर्च अपने दरवाजे पर लटका दें यह आपको बुरी नजरों से बचायेगी।



7) किसी ब्राम्हण या जरूरतमंद को तिल दान करें माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर धन की वर्षा करेंगी।


8) नवरात्रि में किसी कुँवारी कन्या को 5 टूक लाल वस्त्र दान करें।


9) नवरात्रि में काले वस्त्र, जूते इत्यादि का सेवन न करें। यदि करते हैं तो खर्च की अधिकता होगी। इस समय पीले वस्त्रों का सेवन करें।



10) जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो रहा हो तो या किसी विवाहिता को बच्चे नहीं हो रहा हो तो सफेद चावल किसी भिखारी को दान में दें। अवश्य मनोकामना पूरी होगी।



11) नवरात्रि के पूजा में उपयोग करने के बाद बचा हूआ इत्र एवं शहद का प्रयोग स्वंय करें माता की कृपा आप पर बनी रहेगी।


12) नवरात्रि में माँ दुर्गा को शहद का भोग लगावें इससे भक्त के सुन्दरता में वृद्धि होती है तथा उसका व्यक्तित्व निखर जाता है।



13) मनपसंद वर की प्राप्ति के लिए कुवांरी कन्या को किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव एवं माता पार्वती को दूध एवं जल से अभिषेक करें। एवं हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणीए कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।। इस मंत्र का जाप 108 बार करें 


14) जिस जातक के विवाह में विभिन्न प्रकार की परेशानियाँ आ रही हों तो शीघ्र विवाह के लिए जातक को निम्न मंत्र का 3, 5, 10 माला जाप करें 


ऊँ शं शंकराय सकल.जन्मार्जित.पाप.विध्वंसनायए पुरुषार्थ.चतुष्टय.लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।



15) परूष जातक के शीध्र विवाह के लिए नवरात्रि मे सोमवार को शिव जी को दूध, घी एवं शहद का अभिषेक करें मनचाही दुल्हन प्राप्त होगी।


16) व्यापार नहीं चल रहा हो तो - रविवार को 5 निंबू काट कर व्यवसाय स्थल पर रखकर उसके साथ एक-एक मुट्ठी काली मिर्च, पीला सरसों, रख दें अगले दिन सारे सामग्री को इकटठा कर किसी सुनसान जगह पर जाकर रख दें। व्यापार दिन-दुना प्रगति करेगा।

आशा करता हुँ कि यह चैत्र नावरा़़त्र आपके लिए खास रूप से सफलता का पैगाम लाये और माँ दुर्गा सबकी मनोकामना पूर्ण करे यही हमारी कामना है । 



कुमकुम भरे कदमों से आए माँ दुर्गा आपके द्वारए सुख संपत्ति मिले आपको अपारए मेरी ओर से नवरात्रि की शुभ कामनाएँ करें स्वीकार!


-------




भगवान श्री गणेश के चमत्कारी मंत्र





भगवान श्री गणेश के चमत्कारी मंत्र

जब जीवन में हर तरफ दुख हो संकट हो और निकलने का कोई मार्ग न दिखे तो गौरीपुत्र गजानन की आराधना तुरंत फल देती है। भगवान गणेश की सात्विक साधनाएं अत्यंत सरल तथा प्रभावी होती है। गणेश उत्सव के 10 दिनों में अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अलग अलग मंत्रो के जाप करने से शीघ्र लाभ मिलता है । भगवान श्री गणेश के दिव्य और चमत्कारी मंत्र जिनके जाप से आप सभी मनोकामनाओ की प्राप्ति कर सकते है द्य भगवान गणेश की पूजा बुद्धिए ज्ञानए बल व सुख.समृद्धि देने वाली मानी जाती है। हम आपको बताएंगे भगवान गणेश के वो खास 5 मंत्र जिनका जप करने के बाद आप उनकी कृपा पा सकते हैं। फैक्ट्री घर में सुख.शांति व वास्तु दोषों के निवारण के लिए भी गणेश जी को घर.घर में स्थान दिया जाता है। इस तरह सभी वास्तु मंत्रों में गणेश जी का मंत्र दोहरा लाभ प्रदायक मंत्र माना जाता है। भगवान गणेश स्वयं रिद्धि.सिद्धि के दाता और शुभ.लाभ के प्रदाता हैं। वे भक्तों की बाधाए संकटए रोग.दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि श्री गणेश जी विशेष पूजा का दिन बुधवार है। 

  Ajay Kumar Thakur is an Indian, belongs from maithil, Darbhanga, Bihar, Ganesh Mantra is a very divine mantra for Success, Wealth, Peace and Strength, I believed that these mantras helps us to keep away from obstacles in our life and even overcome a difficult situations. Reciting these mantras, person must receives auspicious results. 
Please visit on my blog : https://gyanpathik.blogspot.com 
Please visit on my blog : https://gyanlink.wordpress.com 
follow me on Twitter : @AjayBhash 
follow me on Instagram : ajay_bhash 
follow me on facebook : https://www.facebook.com/ajay.bhash Other youtube Video : https://youtu.be/jCZeUT9sPuo

श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र !! shri sankat nashan ganesh stotra, अमीर बनने की चाह रखने वाले हर मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति हेतु, पुत्र की प्राप्ति, विद्या की प्राप्ति,



Shri Sankat Nashan Ganesh Stotra 

अमीर बनने की चाह रखने वाले हर मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति हेतु, पुत्र की प्राप्ति, विद्या की प्राप्ति, श्रीगणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे 'संकटनाशन गणेश स्तोत्र' का पाठ 11 बार करना चाहिए। हिंदू धार्मिक पुराणों में श्री गणेश की कृपा के महत्व के बारे में बताया गया है. नारद पुराण में संकटनाशन गणेश स्तोत्र लिखा गया है, जिसे पढ़कर आप अपने जीवन की हर परेशानी दूर कर सकते हैं.! बुधवार हो या चतुर्थी संकटनाशक गणेश स्तोत्र के ये 12 नाम हर मुसीबतों को दूर कर देते हैं। ज्ञान का संवर्धन और बुद्धि को तीव्र करने के लिए गणपति स्तोत्र का पाठ किया जाता है | जब जीवन में हर तरफ दुख हो, संकट हो और निकलने का कोई मार्ग न दिखे तो गौरीपुत्र गजानन की आराधना तुरंत फल देती है। भगवान गणेश की सात्विक साधनाएं अत्यंत सरल तथा प्रभावी होती है। इनमें अधिक विधि-विधान की भी जरूरत नहीं होती है ! 

Ajay Kumar Thakur is an Indian, belongs from maithil, Darbhanga, Bihar, Ganesh Sankat Nashan Stotra (from Narad Puran) Pranamya Shirsha Devam is a very divine mantra. I believed that reciting this stotra helps us to keep away from obstacles in our life and even overcome a difficult situations. In one year person must receives auspicious results. 

Please visit on my blog : https://gyanpathik.blogspot.com 
Please visit on my blog : https://gyanlink.wordpress.com 
follow me on Twitter : @AjayBhash 
follow me on Instagram : ajay_bhash 
follow me on facebook : https://www.facebook.com/ajay.bhash Please watch other video: https://youtu.be/Qy1gk_zPxKI

शुक्रवार, 16 मार्च 2018

हनुमान साधना के अद्भुत लाभ

हनुमान साधना के अद्भुत लाभ


          कलियुग में देवों के देव महादेव शिव के गयारवें रूद्रावतार हनुमानजी सबसे प्रभावशाली और जागृत देवता हैं। जिस प्रकार सीता के वनवास के समय श्रीराम के सभी कार्य को शीघ्र पूरा कर देते थे उसी प्रकार श्रीराम भक्त शिरोमनि हनुमान जी अपने भक्तों के कार्य के लिए सदैव तत्पर रहतें है। जहाँ-जहाँ श्रीराम का नाम लिया जाता है वहाँ हनुमान जी शीघ्र ही अपने भक्तों पर कृपा करतें हैं। कठिन से कठिन कार्य भी हनुमान जी का स्मरण मात्र से सुलभ हो जाता है और व्यक्ति निर्भय होकर निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है। इनके उपासना से व्यक्ति में बुद्धि, बल, शौर्य, यश, साहस और आरोग्यता को प्राप्त करता है।

हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार सप्त चिरंजिवों का वर्णन है - हनुमान, राजाबली, महामुनि व्यास, अंगद, अश्वथामा, कृपाचार्य एवं विभीषण। जिनमें  हनुमान 

जी ऐसे देवता हैं जिन्हें सर्वाधिक पूजनीय माना गया है, जो सशरीर इस पृथ्वी पर विद्यमान रहते हैं। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा, मंगलवार को हुआ था। हनुमान जी की माता का नाम अंजना तथा पिता का नाम वायु देवता हैं। वेदों से पता चलता है कि मंगलवार का दिन अत्याधिक मंगलसूचक है। अतः इस दिन हनुमान जी की उपासना का विशेष महत्व होता है तथा अत्यधिक फलदायक होता है। हनुमानजी अखण्ड ब्रम्हचारी हैं इसलिए उनकी आराधना के समय ब्रम्हचर का पालन विशेष रूप से करना चाहिए।


           ऐसी मान्यता है कि आज भी जहाँ रामकथा होती है श्री हनुमान जी किसी न किसी रूप में वहाँ विद्यमान रहते हैं। हनुमान जी के कृपा से ही तुलसीदास जी को भगवान राम के दर्शन हुए थे।  

।।चित्रकूट के घाट पर भई संतन के भीड़।
तुलसीदास चंदन रगरै तिलक लेत रघुबीर।।

           हनुमान जी की भक्ति एवं महिमा का गुणगान ही हनुमान चालीसा के रूप में विद्यमान है। अतः हनुमान चालीसा से हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है। 


           शनि देव के आराध्य देव शिवजी हैं एवं हनुमान जी शिव के गयारवें रूद्रावतार इसलिए शनिदेव शिव भक्त एवं हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं एवं इन पर विशेष कृपा दृष्टि रखते हैं। शनि, राहु एवं केतु के महादशा काल में हनुमान जी की साधना करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। 

हनुमान जी की आराधना करने से पहले श्रीराम का स्मरण एवं जप जरूर करें इससे हनुमान जी अति प्रसन्न होतेे हैं। हनूमान जी की आराधना के कुछ नियम है जौ इस प्रकार है -

1) नित्यप्रतिदिन भगवान श्री हनुमान मंदिर में जाकर दर्शन करें यदि संभव न हो तो अपने घर में तश्वीर या मुर्ति रखकर प्रातः नित्य दर्शन करे।

2) प्रातः काल जगने के बाद तथा सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें।

3) दिन में स्नान इत्यादि करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें तथा हनुमान चालीसा का पाठ करें।

4) जातक को मांसाहार तथा मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए ।

5) हनुमान जी की पूजा करने से पहले श्री राम की पूजा करनी चाहिए।

6) मंगलवार तथा शनिवार का व्रत रखना चाहिए।

7) पूजन के दरम्यांन पूर्ण ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।

8) जातक को अपने भीतर क्रोध एवं अहंकार को नहीं लाना चाहिए।

9) हनुमान जी को घी के लड्डु का भोग लगाना चाहिए।

10) हनुमान जी को लाल चंदन या सिन्दूर चढाना चाहिए।

हनुमान जी के टोटके जिससे धन की प्राप्ति होती है - 

1) तेल के दीये मेे लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें इससे आपका संकट दूर होगा तथा धन की प्राप्ति होगी।

2) हनुमान जयंती के अवसर पर गोपी चंदन की 9 डलियाँ पीले धागे में बाँध कर केले के वृक्ष पर लटका देना चाहिए ।

3) एक नारियल पर कामिया सिंदूर, मौली तथा अक्षत के साथ पूजन करें तथा उसे किसी हनुमान मंदिर में चढा दें। 

4) पीपल के वृक्ष के जड़ में तेल का दीपक अर्पण करें तथा घर को लौट आवें याद रहे कि पीछे मुड़कर नही देखना है इससे आपको अवश्य ही धन का लाभ होगा।



1) 21 मंगलवार का नियमित व्रत रखने से व्यक्ति को राज सम्मान, पुत्र            सुख इत्यादि के लिए करना चाहिए।

2) जो व्यक्ति लड़ाई-झगड़ा, केस-मुकदमा तथा शत्रुओं से परेशान हो              उस व्यक्ति को अर्धरात्रि के समय 10 दिन तक लगातार हनुमान जी            के नौ सौ मंत्रों का पाठ करना चाहिए सफलता अवश्य कदम चुमेगी।


3) प्रातः काल शनिवार को स्नान इत्यादि कर के हनुमान जी की मुर्ति पर फूल, अक्षत, सिंदुर, चमेली का तेल और नारियल अर्पण करें एवं निम्न मंत्र का पाठ करें -
ओम बलसिद्धिकराय नमःए ओम वज्रकायाय नमःए ओम महावीराय नमःए ओम रक्षेविध्वंसकाराय नमः  ओम र्सवरोगाहरा नमः


4) शनिवार या मंगलवार को एकांत या महावीर मंदिर मेें जाकर                      बजरंगबली की पूजा करने के पश्चात बजरंग बाण का पाठ करें 

बजरंग बाण 
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं। दनुज वन कृशानुंए ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं। रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति तेए विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभए सिद्ध करैं हनुमान।।

चौपाई

जय हनुमन्त संत हितकारी !  सुन लीजै प्रभु अरज हमारी !!
जन के काज बिलम्ब न कीजै ! आतुर दौरि महासुख दीजै !!

जैसे  कूदी  सिन्धु  महि पारा !  सुरसा  बदन पैठी विस्तारा !!
आगे  जाय  लंकिनी  रोका द्य  मोरेहु  लात  गई  सुर  लोका !!

जाय विभीषण को सुख दीन्हा ! सीता निरखि परम.पद लीना !!
बाग़  उजारि  सिन्धु  मह बोरा !  अति आतुर जमकातर तोरा !!

अक्षय  कुमार  मारि  संहारा !   लूम  लपेटि  लंक  को  जारा !!
लाह  समान  लंक  जरि  गई !  जय.जय  धुनि सुरपुर में भई !!

अब  बिलम्ब केहि कारन स्वामी !  कृपा करहु उर अन्तर्यामी !!
जय जय लखन प्रान के दाता ! आतुर होई  दुरूख करहु निपाता !!

जै  गिरिधर  जै जै  सुख सागर !  सुर.समूह.समरथ  भट.नागर !!
ॐ  हनु हनु  हनु हनुमंत हठीले !  बैरिहि  मारु  बज्र की  कीले !!

गदा   बज्र   लै  बैरिहि  मारो !  महाराज   प्रभु   दास   उबारो !!
ॐकार हुंकार महा प्रभु धाओ ! बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ !!

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत  कपीसा !  ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर.सीसा !!
सत्य  होहु  हरी  शपथ  पायके !  राम  दूत  धरु  मारू  जायके !!

जय जय जय हनुमन्त अगाधा ! दुःख पावत जन केहि अपराधा !!
पूजा   जप  तप  नेम  अचारा !  नहिं   जानत  हो  दास  तुम्हारा !!

वन उपवन  मग गिरि गृह मांहीं ! तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं !!
पायं परौं कर जोरी मनावौं ! येहि अवसर अब केहि गोहरावौं !!

जय   अन्जनी  कुमार  बलवंता !   शंकर  सुवन  वीर  हनुमंता !!
बदन कराल काल कुलघालक ! राम सहाय सदा प्रतिपालक !!

भूत   प्रेत   पिसाच   निसाचर ! अग्नि  वैताल  काल  मारी  मर !!
इन्हें  मारु तोहि शपथ राम की ! राखउ नाथ मरजाद नाम की !!

जनकसुता  हरि  दास कहावो !  ताकी  शपथ विलम्ब  न लावो !!
जै जै जै  धुनि  होत अकासा ! सुमिरत होत  दुसह दुःख  नासा !!

चरण शरण कर जोरि मनावौं ! यहि अवसर अब केहि गोहरावौं !!
उठु  उठु  चलु  तोहि  राम.दोहाई ! पायँ  परौंए कर जोरि मनाई !!

ॐ चं चं चं चं   चपल   चलंता !  ॐ हनु हनु  हनु हनु  हनुमन्ता !!
ॐ हं हं हाँक देत  कपि चंचल ! ॐ सं सं सहमि पराने खल.दल !!

अपने  जन  को  तुरत  उबारौ !   सुमिरत  होय  आनंद  हमारौ !!
यह  बजरंग  बाण  जेहि  मारै !  ताहि  कहो   फिर कोन  उबारै !!

पाठ  करै   बजरंग  बाण  की !   हनुमत   रक्षा   करैं   प्रान  की !!
यह    बजरंग   बाण   जो  जापैं !   ताते   भूत.प्रेत    सब    कापैं !!

धूप   देय   अरु   जपै  हमेशा !   ताके   तन   नहिं   रहै   कलेस !!

दोहा

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत हीए सिद्ध करैं हनुमान।।


5) तुलसीदास कृत हनुमान चालीसा खुद में हज़ारों और लाखों मन्त्रों के समान शक्तिशाली बताई गयी है। यदि हनुमान चालीसा का पाठ शुद्ध -  शुद्ध नियमित रूप से करने करने पर व्यक्ति सभी प्रकार के  दुःखों से मुक्त हो जाता है।

दोहा :

श्रीगुरु   चरन  सरोज   रजए   निज   मनु  मुकुरु  सुधारि।
बरनऊं  रघुबर   बिमल  जसुए   जो  दायकु  फल चारि।।
बुद्धिहीन     तनु     जानिकेए      सुमिरौं     पवन.कुमार।
बल    बुद्धि    बिद्या    देहु   मोहिंए हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत  अतुलित  बल  धामा।   अंजनि.पुत्र  पवनसुत  नामा।।

महाबीर   बिक्रम   बजरंगी।   कुमति  निवार सुमति के संगी।।

कंचन  बरन  बिराज  सुबेसा।   कानन  कुंडल  कुंचित केसा।।

हाथ  बज्र  औ   ध्वजा   बिराजै।   कांधे   मूंज   जनेऊ   साजै।।

संकर   सुवन   केसरीनंदन।   तेज   प्रताप  महा  जग  बन्दन।।

विद्यावान   गुनी   अति  चातुर।  राम  काज  करिबे को आतुर।।

प्रभु  चरित्र सुनिबे  को रसिया। राम लखन  सीता  मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम  रूप   धरि  असुर  संहारे।   रामचंद्र  के   काज   संवारे।।

लाय   सजीवन   लखन   जियाये।   श्रीरघुबीर  हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत  बड़ाई।  तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो  जस गावैं।  अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक  ब्रह्मादि  मुनीसा।  नारद  सारद  सहित  अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं  कीन्हा।   राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो  मंत्र  बिभीषन  माना।  लंकेस्वर  भए  सब जग जाना।।

जुग  सहस्र  जोजन  पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम  काज  जगत  के  जेते।     सुगम  अनुग्रह  तुम्हरे  तेते।।

राम   दुआरे   तुम  रखवारे।   होत   न   आज्ञा   बिनु  पैसारे।।

सब  सुख  लहै  तुम्हारी  सरना।  तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन   तेज   सम्हारो  आपै।    तीनों  लोक  हांक  तें  कांपै।।

भूत  पिसाच  निकट  नहिं  आवै।   महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै   रोग   हरै  सब  पीरा।   जपत   निरंतर  हनुमत  बीरा।।

संकट तें  हनुमान  छुड़ावै।  मन  क्रम  बचन  ध्यान जो लावै।।

सब  पर  राम तपस्वी राजा।  तिन के काज सकल तुम साजा।

और  मनोरथ  जो  कोई  लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों   जुग   परताप तुम्हारा।   है  परसिद्ध  जगत उजियारा।।

साधु.संत   के   तुम  रखवारे।   असुर  निकंदन  राम दुलारे।।

अष्ट  सिद्धि  नौ निधि  के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।

राम  रसायन  तुम्हरे  पासा।   सदा   रहो   रघुपति  के दासा।।

तुम्हरे  भजन  राम  को  पावै।  जनम.जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल  रघुबर  पुर  जाई।  जहां  जन्म  हरि.भक्त कहाई।।

और  देवता  चित्त  न  धरई।   हनुमत  सेइ  सर्ब  सुख करई।।

संकट   कटै   मिटै   सब  पीरा।  जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै   हनुमान  गोसाईं।   कृपा  करहु  गुरुदेव  की  नाईं।।

जो  सत  बार  पाठ  कर  कोई।   छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो  यह  पढ़ै  हनुमान  चालीसा।   होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास   सदा  हरि  चेरा।   कीजै  नाथ  हृदय  मंह  डेरा।।


दोहा 


पवन तनय संकट हरनए मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहितए हृदय बसहु सुर भूप।।



6) यदि आप अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो निम्न मंत्र का          जाप करें शीघ्र ही आपके सारे कष्ट दुर हो जायेंगे-


ॐ हं हनुमंतये नमरू ।   (भय नाश करने के लिए)

ऊँ हुँ हुँ हनुमतये फट्।  ऊँ पवन नन्दनाय स्वाहा।

ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् (द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र)


7) मंगलवार के दिन स्नान इत्यादि करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें तत्पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें इससे व्यक्ति समस्त सुखों को भोगता है तथा उसका मंगल दोष शांत हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति का मंगल कमजोर एवं अशुभ होता है तो उसे विद्या, विवाह, संतान, धन तथा भूमि संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है-


ॐ रूवीर्य समुभ्दवाय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ तेजसे नमः
ॐ प्रसन्नात्मने नमः
ॐ शुराय नमः

8) हनुमान मनोकामना मंत्र -


महाबलाय बीराय चिरंजिवीन उद्दते ।
हारिणे वज्र देहाय चोलंग्धितमहाव्यये।

9) संकट दूर करने के लिए  -


ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहाद्य


8) बीज मंत्र - हं हनुमंते नमः इस मंत्र का जप करने पर हनुमान जी                  प्रसन्न  हो जाते हैं तथा जातक पर कृपा की वर्षा करते हैं।  

10) यदि जातक भूत प्रेत जैसे बाधाओं से ग्रसित है तो निम्न मंत्र के जप से          भयमुक्त हो जाता है -


हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबलरूण् अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते!

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।

प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन। जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।

11) व्यक्ति अपने संकट को दूर करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग कर                सकते हैं यह मंत्र बहुत प्रभावशाली है -


ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा:

12) जातक यदि कर्ज के बोझ से दब गया हो तो उसके निवारण के लिए            निम्न मंत्र का प्रयोग करना चाहिए -


ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा:


13) जिस जातक का शनि का महादशा, शनि की साढे साती या ढैया चल रहा हो उस जातक को हनुमान चालीसा के साथ सुन्दरकांड का पाठ भी करना चाहिए। सुन्दरकांड का पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है तथा शनि के किसी प्रकार की दशा हो उसमें काफी राहत मिलती है। जब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाए या कोई कार्य सफल नहीं हो रहा हो तो सुन्दरकांड का पाठ करना चाहिए। इस तथ्य को वैज्ञानिकता के साथ कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी।

14) हनुमान जी के 12 स्वरूपों की तश्वीर सामने रख कर पूजा-पाठ करके इस मंत्र का पाठ करें - 


हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबलरू। रामेष्टरू फाल्गुनसखरू पिङ्गाक्षोमितविक्रमरू।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनरू। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनरू। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यरू पठेत्।। तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।




15) श्री रामचन्द्रजी की 108 नामवली का जाप करना चाहिए -

ॐ राम रामाय नम:, ॐ राम भद्राया नम:, ॐ राम चंद्राय नम:, ॐ राम शाश्वताया नम:, ॐ राजीवलोचनाय नम:, ॐ वेदात्मने नम:, ॐ भवरोगस्या भेश्हजाया नम:, ॐ दुउश्हना त्रिशिरो हंत्रे नम:, ॐ त्रिमुर्तये नम:, ॐ त्रिगुनात्मकाया नम:, ॐ श्रीमते नम:, ॐ राजेंद्राय नम:, ॐ रघुपुंगवाय नम:, ॐ जानकिइवल्लभाय नम:, ॐ जैत्राय नम:, ॐ जितामित्राय नम:, ॐ जनार्दनाय नम:, ॐ विश्वमित्रप्रियाय नम:, ॐ दांताय नम:, ॐ शरणात्राण तत्पराया नम:, ॐ वालिप्रमाथानाया नम:, ॐ वाग्मिने नम:, ॐ सत्यवाचे नम:, ॐ सत्यविक्रमाय नम:, ॐ सत्यव्रताय नम:, ॐ व्रतधाराय नम:,  ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नम:, ॐ कौसलेयाय नम:, ॐ खरध्वाण्सिने नम:, ॐ विराधवाधपन दिताया नम:, ॐ विभीषना परित्रात्रे नम:, ॐ हरकोदांद खान्दनाय नम:, ॐ सप्तताला प्रभेत्त्रे नम:, ॐ दशग्रिइवा शिरोहराया नम:, ॐ जामद्ग्ंया महादर्पदालनाय नम:, ॐ तातकांतकाय नम:, ॐ वेदांतसाराय नम:, ॐ त्रिविक्रमाय नम:, ॐ त्रिलोकात्मने नम:, ॐ पुंयचारित्रकिइर्तनाया नम:, ॐ त्रिलोकरक्षकाया नम:, ॐ धंविने नम:, ॐ दंदकारंय पुण्यक्रिते नम:, ॐ अहल्या शाप शमनाय नम:, ॐ पित्रै भक्ताया नम:, ॐ वरप्रदाय नम:, ॐ राम जितेंद्रियाया नम:, ॐ राम जितक्रोधाय नम:, ॐ राम जितामित्राय नम:, ॐ राम जगद्गुरवे नम:, ॐ राम राक्षवानरा संगथिने नम:, ॐ चित्रकुउता समाश्रयाया नम:, ॐ राम जयंतत्रनवरदया नम:, ॐ सुमित्रापुत्र सेविताया नम:, ॐ सर्वदेवादि देवाय नम:, ॐ राम मृतवानर्जीवनया नम:, ॐ राम मायामारिइचहंत्रे नम:, ॐ महादेवाय नम:, ॐ महाभुजाय नम:, ॐ सर्वदेवस्तुताय नम:, ॐ सौम्याय नम:, ॐ ब्रह्मंयाया नम:, ॐ मुनिसंसुतसंस्तुतया नम:, ॐ महा योगिने नम:, ॐ महोदराया नम:, ॐ सच्चिदानंद विग्रिहाया नम:, ॐ परस्मै ज्योतिश्हे नम:, ॐ परस्मै धाम्ने नम:, ॐ पराकाशाया नम:, ॐ परात्पराया नम:, ॐ परेशाया नम:, ॐ पारगाया नम:, ॐ पाराया नम:, ॐ सर्वदेवात्मकाया परस्मै नम:, ॐ सुग्रिइवेप्सिता राज्यदाया नम:, ॐ सर्वपुंयाधिका फलाया नम:, ॐ स्म्रैता सर्वाघा नाशनाया नम:, ॐ आदिपुरुष्हाय नम:, ॐ परमपुरुष्हाय नम:, ॐ महापुरुष्हाय नम:, ॐ पुंयोदयाया नम:, ॐ अयासाराया नम:, ॐ पुरान पुरुशोत्तमाया नम:, ॐ स्मितवक्त्राया नम:, ॐ मितभाश्हिने नम:, ॐ पुउर्वभाश्हिने नम:, ॐ राघवाया नम:, ॐ अनंतगुना गम्भिइराया नम:, ॐ धिइरोत्तगुनोत्तमाया नम:, ॐ मायामानुश्हा चरित्राया नम:, ॐ महादेवादिपुउजिताया नम:, ॐ राम सेतुक्रूते नम:, ॐ जितवाराशये नम:, ॐ सर्वतिइर्थमयाया नम:, ॐ हरये नम:, ॐ श्यामानगाया नम:, ॐ सुंदराया नम:, ॐ शुउराया नम:, ॐ पितवाससे नम:, ॐ धनुर्धराया नम:, ॐ सर्वयज्ञाधिपाया नम:, ॐ यज्वने नम:, ॐ जरामरनवर्जिताया नम:, ॐ विभिषनप्रतिश्थात्रे नम:, ॐ सर्वावगुनवर्जिताया नम:, ॐ परमात्मने नम:, एवं ॐ परस्मै ब्रह्मने नम: !

16) फिर श्रीहनुमान जी का 108 नामों का जाप करना चाहिए -

ॐ हनुमते नमः, ॐ श्रीप्रदाया नमः, ॐ वायुपूत्राया नमः, ॐ अजराया नमः, ॐ अमृत्याया नमः, ॐ मारुताथमज़ाया नमः, ॐ विराविराया नमः, ॐ ग्रामवासाया नमः, ॐ जनश्रयड़ायाया नमः, ॐ रुद्राया नमः, ॐ अनागाया नमः, ॐ धनदायाया नमः, ॐ अकायाये नमः, ॐ विरये नमः, ॐ वागमिने नमः, ॐ पिंगाकशाये नमः, ॐ वारदाये नमः, ॐ सीता शोकविनाशनाये नमः, ॐ रक्तावाससे नमः, ॐ शिवाये नमः, ॐ निधिपटये नमः, ॐ मुनाये नमः, ॐ शरवाये नमः, ॐ व्यक्ताव्यकताये नमः, ॐ रासाधराये नमः, ॐ पिंगाकेशाये नमः, ॐ पिंगरोमने नमः, ॐ श्रुतिगामयाये नमः, ॐ सानातनाया नमः, ॐ पराये नमः, ॐ अव्यकताये नमः, ॐ अनादाये नमः, ॐ भगवाते नमः, ॐ डेवाये नमः, ॐ विश्वहेटावे नमः, ॐ निराश्रयाये नमः, ॐ आरोगयकारते नमः, ॐ विश्वेश्वाये नमः, ॐ विश्वानायाकाये नमः, ॐ हरिश्वराये नमः, ॐ विश्वमुरताया नमः, ॐ विश्वकाराये नमः, ॐ विषडाये नमः, ॐ विश्वात्मनाय नमः, ॐ विश्वाहाराया नमः, ॐ राव्याय नमः, ॐ विश्वचेशलाये नमः, ॐ विश्वासेवायाय नमः, ॐ विश्वाया नमः, ॐ विश्वागम्याय नमः, ॐ विश्वाध्ययाये नमः, ॐ बालाये नमः, ॐ वृधाध्यये नमः, ॐ यूनाया नमः, ॐ कलाधराये नमः, ॐ प्लावंगगमये नमः, ॐ कपिशेषतया नमः, ॐ विडयाये नमः, ॐ ज्येष्ताये नमः, ॐ तटवाये नमः, वनचराये नमः, ॐ तत्वगामयये नमः, ॐ सखये नमः, ॐ अजाये नमः, ॐ अंजनीसूनावे नमः, ॐ अवायगराये नमः, ॐ भार्गाये नमः, ॐ रामाये नमः, ॐ रामभक्ताये नमः, ॐ कल्याणाये नमः, ॐ प्राकृतिस्तिराया नमः, ॐ विश्वंभाराये नमः, ॐ ग्रामासवंताय नमः, ॐ धराधराय नमः, ॐ भुरलोकाय नमः, ॐ भुवरलोकाय नमः, ॐ स्वर्गालोकाया नमः, ॐ महालोकाय नमः, ॐ जनलोकाय नमः, ॐ तापसे नमः, ॐ अव्यायाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ ओंकार्जमयाये नमः, ॐ प्राणवाये नमः, ॐ व्यापकाये नमः, ॐ अमलाये नमः, ॐ शिवधर्मा.प्रतिष्ताये नमः, ॐ रमेशतात्राया नमः, ॐ फाल्गुणप्रियायेया नमः, ॐ राक्षोधनाया नमः, ॐ पंदारिकाक्षायाया नमः, ॐ दिवाकाराया नमः, ॐ समप्रभाये नमः, ॐ द्रोनहार्ताया नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ गोसपदिकृताया नमः, ॐ वारिशाये नमः, ॐ पूर्णकमाया नमः, ॐ धरा धिप्प्याय नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ मारकायाया नमः, ॐ रामदूठाया नमः, ॐ कृष्णाया नमः, ॐ शरणागतवत्सलाया नमः, ॐ जानकीपराणदाताया नमः, ॐ रक्षप्रानहारकाया नमः, ॐ पूर्णाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ पितावाससेया नमः एवं ॐ डेवाया नमः !


17) हनुमान बाहुक का पाठ करना चाहिए यह आपको किसी धार्मिक पुस्तक की दुकान में आसानी से मिल जायेगा । हनुमान बाहुक का निरन्तर पाठ करने से मनोवांछित मनोरथ की प्राप्ति होती है। शारीरिक रोगों के अतिरिक्त और भी सब प्रकार की लौकिक बाधाएँ इस स्तोत्र से निवृत होती हैं। इससे मानसरोग मोहए कामए क्रोधए लोभ एवं राग.द्वेष आदि तथा कलियुग कृत बाधाएँ भी नष्ट हो जाती हैं।


           आशा करता हुँ कि जातक को इस परिचर्चा से लाभान्वित होंगे एवं इसके प्रयोग से कष्ट का निवारण होगा। यदि जातक को इससे फायदा होता है तो अवश्य हमें सूचित करें हमें प्रसन्नता होगी और मेरा इस संकलन का अथक प्रयास सार्थक सिद्ध होगा।


-----

मिथुन राशि वालों के लिए मित्र और शत्रु ग्रह !

मेष राशि नमस्कार दोस्तों, आज से सभी 12 राशियों की जानकारी देने के लिए   एक श्रृंखला सुरू करने जा रही हैं जिसमे हर दिन एक एक राशि के बारे में...