मंगलवार, 20 मार्च 2018

चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा



           हिन्दू धर्म में नवरात्र का महत्व सबसे अधिक होता है। बहुत लोगों को यह नहीं पता होगा कि एक वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। अधिकतर लोगों को दो नवरात्र के बारे में पता होता है एक शारदीय नवरात्र एवं चैत्र नवरात्र, लेकिन भागवत पुराण के अनुसार दोनों के अलावे दो और गुप्त नवरात्र होता जो आषाढ माह के शुक्ल पक्ष एवं माघ माह में नवरात्र होती है जिसमें भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हंै। मत्स्य पुराण में पंच देवताओं का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार हैं सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव एवं विष्णु। माँ दुर्गा को शीध्र फलदाता माना गया है। 


इन चारो नवरात्र का अलग-अलग महत्व होता है। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा अर्चना से व्यक्ति को वैभव एवं भोग की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्र तंात्रिक सिद्धि के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होता है, लेकिन चैत्र माह में मां दुर्गा की उपासना आत्मशुद्धि एवं मुक्ति के लिए किया जाता है। चैत्र के नवरात्र से ही हिन्दू धर्म के पंचांग में नववर्ष की गणना की जाती है। इसी दिन 
से ज्योतिष विज्ञान में वर्ष के राजा, मंत्री एवं कृषि एवं फसल इत्यादि की गणना की जाती है। 
इसीलिए इस दिन को हिन्दु धर्म में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु मत्स्य अवतार चैत्र माह में लेकर पृथ्वी का निर्माण किया था और मर्यादा पुरूषोŸम राम का जन्म भी चैत्र माह में ही हुआ था। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन ही भगवती मां दूर्गा के कहने पर ब्रम्हा जी ने सृष्टि का निमार्ण सुरू किया था इसलिए चैत्र नवरात्र का महत्व और बढ जाता है।


नवरात्रि के नौ दिन भक्त अपने सुख, समृद्धि, कामना के लिए मां दूर्गा के नौ अवतार (सरस्वती, लक्ष्मी एवं दुर्गा) की पूजा करते हैं।

प्रथम शैलपुत्री।
द्वितीय ब्रम्हचारिणी।
तृतीय चंद्रघंटा।
चतुर्थ कुष्माण्डा।
पंचमं स्कंदमाता।
षष्टम कात्यानी।
सप्तमम कालरात्रि।
अष्टम महागौरी।
नवमं सिद्धिदात्री।

इन नौ रूप में मां दुर्गा की उपासना प्रतिप्रदा से नौवे दिन तक करने से भगवती प्रसंन्न होती हैं और भगवती अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, भोग एवं सिद्धि का वरदान देते हैं। मार्कण्डे पुराण में ब्रम्हा जी ने मानव काल्याणार्थ अतिगोपनीय मंत्र का वर्णन किया है, यदि इन मंत्रोें का विधिवत पाठ करने पर मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मौक्ष की प्राप्ति होती है। 

1) धन प्राप्ति के लिए -

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि 
दारिद्र्यदुरूखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता !!

2) अपना व्यक्तित्व एवं आकर्षण बढाने के लिए -


देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। 
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही साए 
बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति !!

3) विभिन्न तरह के उपद्रव से बचने के लिए -


रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र !


दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् !!

4) विपŸिायो के नाश के लिए -


देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य !


प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य !!

5) जिंदगी में सभी प्रकार के भूत, प्रेत या अन्य भय नाश के लिए -


सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते !


भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते !!

6) नौ दिन के अलग-अलग मंत्र -

प्रथम दिन - विशोका दुष्टदमनी शमनी दुरितापदाम् !
                        उमा गौरी सती चण्डी कालिका सा च पार्वती !!

दूसरे दिन - विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु!

                 त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः!!

तीसरे दिन - हिनस्ति दैत्य तेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् !

                   सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽनः सुतानिव !!

चतुर्थ दिन - स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता !

                  करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः !!

पंचम दिन - सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी ! 

                   परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी !!

षष्टम दिन - एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम् !

                  पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोेस्तुते !!

सप्तम दिन - त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमुर्धनि तेैपि हत्वा !

                    नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्त मस्माकमुन्मद सुरारिभवम्                      नमस्ते !!

अष्टम दिन - सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

                  शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।।

नवम दिन - या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां                           हृदयेषु बुद्धिः !

                 श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय                     देवि विश्वम् !!

7) माँ दुर्गा शाबर मंत्र -
                ॐ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह.वाहिनी। बीस.हस्ती भगवतीए                                रत्न.मण्डित सोनन की माल। उत्तर.पथ में आप बैठीए हाथ                          सिद्ध  वाचा ऋद्धि.सिद्धि। धन.धान्य देहि देहिए कुरु कुरु स्वाहा।

8) विद्यार्थियों के लिए (बुद्धि बढाने के लिए) -

                बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे ! मूढत्वं च हरेद्देवि                        त्राहि  मां शरणागतम् !

9) मूर्खता से उबरने के लिए -
                जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला ! मूढ़ता हर मे देवि                    त्राहि मां शरणागतम् !!

10) दुश्मनो से रक्षा के लिए -
               सौम्यक्रोधधरे रुपे चण्डरूपे नमोऽस्तु ते ! सृष्टिरुपे नमस्तुभ्यं                       त्राहि मां शरणागतम् !!

11) शत्रु से भय निवारण के लिए -
               घोररुपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि ! भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां                   शरणागतम् !!

12) ज्ञान प्राप्ति हेतु -
               विद्या त्वमेव ननु बुद्धिमतां नराणां शक्तिस्त्वमेव किल शक्तिमतां                 सदैव ! त्वं कीर्तिकान्तिकमलामलतुष्टिरूपा मुक्तिप्रदा विरतिरेव                 मनुष्यलोके !!

13) श्री दुर्गा सप्तशत्याम् -

               मो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।
               नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ॥१॥

               रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः ।

               ज्योत्स्ना यै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥२॥

               कल्याण्यै प्रणतां वृध्दै सिध्दयै कुर्मो नमो नमः ।

               नैऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥३॥

               दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै ।

               ख्यातै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥४॥

               अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः ।

               नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः ॥५॥

               या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शाध्दिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥६॥

               या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥७॥

               या देवी सर्वभूतेषु बुध्दिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥८॥

               या देवी सर्वभूतेषु निद्रारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥९॥

               या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१०॥

               या देवी सर्वभूतेषु छायारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥११॥

               या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१२॥

               या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१३॥

               या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१४॥

               या देवी सर्वभूतेषु जातिरुपेण संस्थिता ।

               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१५॥

              या देवी सर्वभूतेषु लज्जारुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१६॥

              या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१७॥

              या देवी सर्वभूतेषु श्रध्दारुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१८॥

              या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१९॥

              या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२०॥

              या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२१॥

              या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२२॥

              या देवी सर्वभूतेषु दयारुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२३॥

              या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२४॥

              या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२५॥

              या देवी सर्वभूतेषु भ्रांतिरुपेण संस्थिता ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२६॥

              इंद्रियाणामधिष्ठात्री भूतानं चाखिलेषु या ।

              भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ॥२७॥

              चितिरुपेण या कृत्सनमेद्वयाप्य स्थिता जगत् ।

              नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२८॥

              स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता ।

              करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्याभिहन्तु चापदः ॥२९॥

              या सांप्रतं चोध्दतदैत्यतापितैरस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते ।

              या च तत्क्षणमेव हन्ति नः सर्वापदो भक्ति विनम्रमूर्तिभिः ॥३०॥

              गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्तत्कृतं जपम् ।

              सिध्दिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादान्महेश्वरि ॥३१॥

                                   इति देवीसूक्तम् समाप्तम् ।


14) विघ्नों को दूर करने के लिए -


ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।


दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥

15) उपद्रव से बचने के लिए -


रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र।


दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्॥

16) स्वर्ग और मौक्ष की प्राप्ति के लिए -


सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।


त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥

17) भक्ति प्राप्ति के लिए -

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

18) प्रसन्नता प्राप्ति के लिए -


प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।


त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव॥

19) आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए -


देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।


रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

20) पाप से मुक्ति के लिए - 


हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।


सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव॥

21) भय एवं अशुभ प्रभाव का विनाश करने के लिए -


र्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। 


भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥


यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च।


सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु॥


22) जन कल्याण के लिए -


सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। 


शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥


देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या।


तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः॥



23) दुर्गा बीज मंत्र -


ॐ  एंे ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।


24) शक्ति प्राप्ति के लिए -


सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि। 


गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥

25) रक्षा के लिए - 


शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके। 


घण्टास्वनेन नरू पाहि चापज्यानिरूस्वनेन च॥

26) महामारी से बचने के लिए - 


ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। 


दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

27) सुंदर एवं सुलक्षणा पत्नि की प्राप्ति के लिए -


पत्नीं मनोरमा देहि मनोवृŸाानुसारिणीम्।


तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोभ्दवाम्।।

28) सभी तरह के कल्याण के लिए - 


देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भकत्या नतारू स्म विदधातु शुभानि सा नरू ।।

29) शत्रुओं के विनाश के लिए -


ॐ गिरिजायै विद्महे शिव धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् !



30) नवरात्र में महामृतुंजय मंत्र के जाप से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है इससे बड़ा से बड़ा मारकेष भी टल जाता है ! 




           यदि आप किसी विशेष परेंशानी में हों और लाख कोशिश के वावजूद आप उससे नहीं उबर पा रहें है तो चैत्र नवरात्र में कुछ अचूक टोटके हैं जिन्हें करने तुरंत प्रभाव दिखने लगता है। इस समय किये गये टोटके साधक की सभी मनोकामनाएंँ पूर्ण होती है। यहाँ कुछ टोटके दिये जा रहें हैं यदि उसमें से किसी एक या दो टोटके आप करते हैं तो निश्चित ही आपको माँ दुर्गा सफलता प्रदान करेंगी। 


सजा दरबार है और एक ज्योति जगमगाई है !
नसीब जागेगा उन जागरण करने वालो का,
वो देखो मंदिर में मेरी माता मुस्करायी है !


1) नवरात्रि के 9 दिन में से किसी एक दिन दुर्गा मंदिर में जाकर दरवाजे मे एक लाल धागा बांध दें और मां से अपनी समस्या आ मंन्नत मांगे चमत्कारिक रूप से लाभ मिलेगा।



2) नवरात्रि में प्रतिपदा से नवमी तक पीपल के पŸो पर राम लिखकर उसमें थोड़ा सा गुड़ रखकर हनुमान मंदिर में चढाएँ अपार धन की प्राप्ति होगी। (तांत्रिक उपाय)




3) भगवान शिव को प्रतिदिन चावल एवं विल्व पत्र चढाएँ। (तांत्रिक उपाय)



4) नवरात्र में आटे की लोई में गुड़ भारकर किसी नदी में बहा दें भारी से भारी कर्ज से मुक्ति मिलेगी।


5) नवरात्र में सफेद कपड़ा में पांच गुलाब, चाँदी का टुकड़ा और गुड़ रखकर 21 बार गायत्री मंत्र का जाप करके नदी में बहा दें कर्ज से मुक्ति मिलेगी।



6) नवरात्रि में निंबू एवं मिर्च अपने दरवाजे पर लटका दें यह आपको बुरी नजरों से बचायेगी।



7) किसी ब्राम्हण या जरूरतमंद को तिल दान करें माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर धन की वर्षा करेंगी।


8) नवरात्रि में किसी कुँवारी कन्या को 5 टूक लाल वस्त्र दान करें।


9) नवरात्रि में काले वस्त्र, जूते इत्यादि का सेवन न करें। यदि करते हैं तो खर्च की अधिकता होगी। इस समय पीले वस्त्रों का सेवन करें।



10) जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो रहा हो तो या किसी विवाहिता को बच्चे नहीं हो रहा हो तो सफेद चावल किसी भिखारी को दान में दें। अवश्य मनोकामना पूरी होगी।



11) नवरात्रि के पूजा में उपयोग करने के बाद बचा हूआ इत्र एवं शहद का प्रयोग स्वंय करें माता की कृपा आप पर बनी रहेगी।


12) नवरात्रि में माँ दुर्गा को शहद का भोग लगावें इससे भक्त के सुन्दरता में वृद्धि होती है तथा उसका व्यक्तित्व निखर जाता है।



13) मनपसंद वर की प्राप्ति के लिए कुवांरी कन्या को किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव एवं माता पार्वती को दूध एवं जल से अभिषेक करें। एवं हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणीए कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।। इस मंत्र का जाप 108 बार करें 


14) जिस जातक के विवाह में विभिन्न प्रकार की परेशानियाँ आ रही हों तो शीघ्र विवाह के लिए जातक को निम्न मंत्र का 3, 5, 10 माला जाप करें 


ऊँ शं शंकराय सकल.जन्मार्जित.पाप.विध्वंसनायए पुरुषार्थ.चतुष्टय.लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।



15) परूष जातक के शीध्र विवाह के लिए नवरात्रि मे सोमवार को शिव जी को दूध, घी एवं शहद का अभिषेक करें मनचाही दुल्हन प्राप्त होगी।


16) व्यापार नहीं चल रहा हो तो - रविवार को 5 निंबू काट कर व्यवसाय स्थल पर रखकर उसके साथ एक-एक मुट्ठी काली मिर्च, पीला सरसों, रख दें अगले दिन सारे सामग्री को इकटठा कर किसी सुनसान जगह पर जाकर रख दें। व्यापार दिन-दुना प्रगति करेगा।

आशा करता हुँ कि यह चैत्र नावरा़़त्र आपके लिए खास रूप से सफलता का पैगाम लाये और माँ दुर्गा सबकी मनोकामना पूर्ण करे यही हमारी कामना है । 



कुमकुम भरे कदमों से आए माँ दुर्गा आपके द्वारए सुख संपत्ति मिले आपको अपारए मेरी ओर से नवरात्रि की शुभ कामनाएँ करें स्वीकार!


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