वास्तु शास्त्र
नैऋत्य :साउथ वेस्ट नैऋत्य में पृथ्वी तत्व तथा राहु ग्रह है। राहु महाराज का चिन्ह सांप का मुंह और उसी सांप की पूँछ को केतु कहते हैं। आपको यह जानकारी होगी की पृथ्वी शेषनाग पर स्थिर है। यह पृथ्वी तत्व राहु कोण में है। पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण होने से एपृथ्वी तत्व स्थिरता का प्रतीक है। वास्तु पुरुष के पैर पृथ्वी तत्व में आते हैं। यह कोना सदियों के लिए स्थिरता, पावर, दूरंदेशी एवं बुद्धिमत्ता देता है। वास्तु शास्त्र
नैऋत्य कोने में रसोई होने से :
१. १५ साल के बाद स्त्री को गर्भासय की थैली निकालने का योग आएगा
२. स्त्री हमेशा नेगेटिव विचार का प्रदर्शन करेगी
३. स्त्री को पैर से ले कर कमर तक के दर्द की शियकत रहेगी
४. पैसे की तकलीफ हमेशा रहेगी
५. स्त्री का प्रभाव घर में सब से अधिक रहेगा
६. घर में फूट डालने में सहायक है, एक ही घर में दो रसोई हो जाएगी।
नैऋत्य कोण बढ़ने पर :
दक्षिण दिशा की ओर बढ़ने से कानूनी कार्रवाई का कारक है। आपके जीवन में एक गलत व्यक्ति जरुर आएगा, चाहे वो गलत जमाई हो, गलत पार्टनर हो, गलत बहू हो, चाहे गलत मित्र हो। ऐसा व्यक्ति जिन्हें न आप निगल सकें न उगल सकें।
पश्चिम दिशा की ओर बढ़ने से अधिक व्यय का कारक है। ऐसे घरों में पाँव दर्द की शिकायत हमेशा रहती है।
नैऋत्य कोण कटने पर :
पृथ्वी कोण कटा है तो वास्तु पुरुष के पैर कट जाते हैं जो वास्तु दोष है। इससे जीवन में अस्थिरता आती है। आपको हमेशा सहारे की जरूरत पड़ सकती है। पृथ्वी तत्व का कटा कोना अस्थिरता का और पैर में चोट लगने का संकेत होता है लेकिन कटा कोना इंसान को एक बार तो ऊंचाई पर ले जाता है और फिर अचानक गिराता है।
नैऋत्य कोने के प्रवेश द्वार या मुख्य द्वार में रहने वाले लोगों की दुर्गति तय है। ऐसा मकान मुफ्त में भी नहीं लेना चाहिए।।
निवेदक :
शिशिर पाठक
जन्म कुंडली एवं वास्तु विशेषज्ञ
76, को - ऑपरेटिव कॉलोनी।
बोकारो स्टील सिटी, Whatsapp - 09572807883
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