मंगलवार, 20 मार्च 2018

भगवान श्री गणेश के चमत्कारी मंत्र





भगवान श्री गणेश के चमत्कारी मंत्र

जब जीवन में हर तरफ दुख हो संकट हो और निकलने का कोई मार्ग न दिखे तो गौरीपुत्र गजानन की आराधना तुरंत फल देती है। भगवान गणेश की सात्विक साधनाएं अत्यंत सरल तथा प्रभावी होती है। गणेश उत्सव के 10 दिनों में अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अलग अलग मंत्रो के जाप करने से शीघ्र लाभ मिलता है । भगवान श्री गणेश के दिव्य और चमत्कारी मंत्र जिनके जाप से आप सभी मनोकामनाओ की प्राप्ति कर सकते है द्य भगवान गणेश की पूजा बुद्धिए ज्ञानए बल व सुख.समृद्धि देने वाली मानी जाती है। हम आपको बताएंगे भगवान गणेश के वो खास 5 मंत्र जिनका जप करने के बाद आप उनकी कृपा पा सकते हैं। फैक्ट्री घर में सुख.शांति व वास्तु दोषों के निवारण के लिए भी गणेश जी को घर.घर में स्थान दिया जाता है। इस तरह सभी वास्तु मंत्रों में गणेश जी का मंत्र दोहरा लाभ प्रदायक मंत्र माना जाता है। भगवान गणेश स्वयं रिद्धि.सिद्धि के दाता और शुभ.लाभ के प्रदाता हैं। वे भक्तों की बाधाए संकटए रोग.दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि श्री गणेश जी विशेष पूजा का दिन बुधवार है। 

  Ajay Kumar Thakur is an Indian, belongs from maithil, Darbhanga, Bihar, Ganesh Mantra is a very divine mantra for Success, Wealth, Peace and Strength, I believed that these mantras helps us to keep away from obstacles in our life and even overcome a difficult situations. Reciting these mantras, person must receives auspicious results. 
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श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र !! shri sankat nashan ganesh stotra, अमीर बनने की चाह रखने वाले हर मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति हेतु, पुत्र की प्राप्ति, विद्या की प्राप्ति,



Shri Sankat Nashan Ganesh Stotra 

अमीर बनने की चाह रखने वाले हर मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति हेतु, पुत्र की प्राप्ति, विद्या की प्राप्ति, श्रीगणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे 'संकटनाशन गणेश स्तोत्र' का पाठ 11 बार करना चाहिए। हिंदू धार्मिक पुराणों में श्री गणेश की कृपा के महत्व के बारे में बताया गया है. नारद पुराण में संकटनाशन गणेश स्तोत्र लिखा गया है, जिसे पढ़कर आप अपने जीवन की हर परेशानी दूर कर सकते हैं.! बुधवार हो या चतुर्थी संकटनाशक गणेश स्तोत्र के ये 12 नाम हर मुसीबतों को दूर कर देते हैं। ज्ञान का संवर्धन और बुद्धि को तीव्र करने के लिए गणपति स्तोत्र का पाठ किया जाता है | जब जीवन में हर तरफ दुख हो, संकट हो और निकलने का कोई मार्ग न दिखे तो गौरीपुत्र गजानन की आराधना तुरंत फल देती है। भगवान गणेश की सात्विक साधनाएं अत्यंत सरल तथा प्रभावी होती है। इनमें अधिक विधि-विधान की भी जरूरत नहीं होती है ! 

Ajay Kumar Thakur is an Indian, belongs from maithil, Darbhanga, Bihar, Ganesh Sankat Nashan Stotra (from Narad Puran) Pranamya Shirsha Devam is a very divine mantra. I believed that reciting this stotra helps us to keep away from obstacles in our life and even overcome a difficult situations. In one year person must receives auspicious results. 

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शुक्रवार, 16 मार्च 2018

हनुमान साधना के अद्भुत लाभ

हनुमान साधना के अद्भुत लाभ


          कलियुग में देवों के देव महादेव शिव के गयारवें रूद्रावतार हनुमानजी सबसे प्रभावशाली और जागृत देवता हैं। जिस प्रकार सीता के वनवास के समय श्रीराम के सभी कार्य को शीघ्र पूरा कर देते थे उसी प्रकार श्रीराम भक्त शिरोमनि हनुमान जी अपने भक्तों के कार्य के लिए सदैव तत्पर रहतें है। जहाँ-जहाँ श्रीराम का नाम लिया जाता है वहाँ हनुमान जी शीघ्र ही अपने भक्तों पर कृपा करतें हैं। कठिन से कठिन कार्य भी हनुमान जी का स्मरण मात्र से सुलभ हो जाता है और व्यक्ति निर्भय होकर निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है। इनके उपासना से व्यक्ति में बुद्धि, बल, शौर्य, यश, साहस और आरोग्यता को प्राप्त करता है।

हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार सप्त चिरंजिवों का वर्णन है - हनुमान, राजाबली, महामुनि व्यास, अंगद, अश्वथामा, कृपाचार्य एवं विभीषण। जिनमें  हनुमान 

जी ऐसे देवता हैं जिन्हें सर्वाधिक पूजनीय माना गया है, जो सशरीर इस पृथ्वी पर विद्यमान रहते हैं। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा, मंगलवार को हुआ था। हनुमान जी की माता का नाम अंजना तथा पिता का नाम वायु देवता हैं। वेदों से पता चलता है कि मंगलवार का दिन अत्याधिक मंगलसूचक है। अतः इस दिन हनुमान जी की उपासना का विशेष महत्व होता है तथा अत्यधिक फलदायक होता है। हनुमानजी अखण्ड ब्रम्हचारी हैं इसलिए उनकी आराधना के समय ब्रम्हचर का पालन विशेष रूप से करना चाहिए।


           ऐसी मान्यता है कि आज भी जहाँ रामकथा होती है श्री हनुमान जी किसी न किसी रूप में वहाँ विद्यमान रहते हैं। हनुमान जी के कृपा से ही तुलसीदास जी को भगवान राम के दर्शन हुए थे।  

।।चित्रकूट के घाट पर भई संतन के भीड़।
तुलसीदास चंदन रगरै तिलक लेत रघुबीर।।

           हनुमान जी की भक्ति एवं महिमा का गुणगान ही हनुमान चालीसा के रूप में विद्यमान है। अतः हनुमान चालीसा से हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है। 


           शनि देव के आराध्य देव शिवजी हैं एवं हनुमान जी शिव के गयारवें रूद्रावतार इसलिए शनिदेव शिव भक्त एवं हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं एवं इन पर विशेष कृपा दृष्टि रखते हैं। शनि, राहु एवं केतु के महादशा काल में हनुमान जी की साधना करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। 

हनुमान जी की आराधना करने से पहले श्रीराम का स्मरण एवं जप जरूर करें इससे हनुमान जी अति प्रसन्न होतेे हैं। हनूमान जी की आराधना के कुछ नियम है जौ इस प्रकार है -

1) नित्यप्रतिदिन भगवान श्री हनुमान मंदिर में जाकर दर्शन करें यदि संभव न हो तो अपने घर में तश्वीर या मुर्ति रखकर प्रातः नित्य दर्शन करे।

2) प्रातः काल जगने के बाद तथा सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें।

3) दिन में स्नान इत्यादि करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें तथा हनुमान चालीसा का पाठ करें।

4) जातक को मांसाहार तथा मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए ।

5) हनुमान जी की पूजा करने से पहले श्री राम की पूजा करनी चाहिए।

6) मंगलवार तथा शनिवार का व्रत रखना चाहिए।

7) पूजन के दरम्यांन पूर्ण ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।

8) जातक को अपने भीतर क्रोध एवं अहंकार को नहीं लाना चाहिए।

9) हनुमान जी को घी के लड्डु का भोग लगाना चाहिए।

10) हनुमान जी को लाल चंदन या सिन्दूर चढाना चाहिए।

हनुमान जी के टोटके जिससे धन की प्राप्ति होती है - 

1) तेल के दीये मेे लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें इससे आपका संकट दूर होगा तथा धन की प्राप्ति होगी।

2) हनुमान जयंती के अवसर पर गोपी चंदन की 9 डलियाँ पीले धागे में बाँध कर केले के वृक्ष पर लटका देना चाहिए ।

3) एक नारियल पर कामिया सिंदूर, मौली तथा अक्षत के साथ पूजन करें तथा उसे किसी हनुमान मंदिर में चढा दें। 

4) पीपल के वृक्ष के जड़ में तेल का दीपक अर्पण करें तथा घर को लौट आवें याद रहे कि पीछे मुड़कर नही देखना है इससे आपको अवश्य ही धन का लाभ होगा।



1) 21 मंगलवार का नियमित व्रत रखने से व्यक्ति को राज सम्मान, पुत्र            सुख इत्यादि के लिए करना चाहिए।

2) जो व्यक्ति लड़ाई-झगड़ा, केस-मुकदमा तथा शत्रुओं से परेशान हो              उस व्यक्ति को अर्धरात्रि के समय 10 दिन तक लगातार हनुमान जी            के नौ सौ मंत्रों का पाठ करना चाहिए सफलता अवश्य कदम चुमेगी।


3) प्रातः काल शनिवार को स्नान इत्यादि कर के हनुमान जी की मुर्ति पर फूल, अक्षत, सिंदुर, चमेली का तेल और नारियल अर्पण करें एवं निम्न मंत्र का पाठ करें -
ओम बलसिद्धिकराय नमःए ओम वज्रकायाय नमःए ओम महावीराय नमःए ओम रक्षेविध्वंसकाराय नमः  ओम र्सवरोगाहरा नमः


4) शनिवार या मंगलवार को एकांत या महावीर मंदिर मेें जाकर                      बजरंगबली की पूजा करने के पश्चात बजरंग बाण का पाठ करें 

बजरंग बाण 
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं। दनुज वन कृशानुंए ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं। रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति तेए विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभए सिद्ध करैं हनुमान।।

चौपाई

जय हनुमन्त संत हितकारी !  सुन लीजै प्रभु अरज हमारी !!
जन के काज बिलम्ब न कीजै ! आतुर दौरि महासुख दीजै !!

जैसे  कूदी  सिन्धु  महि पारा !  सुरसा  बदन पैठी विस्तारा !!
आगे  जाय  लंकिनी  रोका द्य  मोरेहु  लात  गई  सुर  लोका !!

जाय विभीषण को सुख दीन्हा ! सीता निरखि परम.पद लीना !!
बाग़  उजारि  सिन्धु  मह बोरा !  अति आतुर जमकातर तोरा !!

अक्षय  कुमार  मारि  संहारा !   लूम  लपेटि  लंक  को  जारा !!
लाह  समान  लंक  जरि  गई !  जय.जय  धुनि सुरपुर में भई !!

अब  बिलम्ब केहि कारन स्वामी !  कृपा करहु उर अन्तर्यामी !!
जय जय लखन प्रान के दाता ! आतुर होई  दुरूख करहु निपाता !!

जै  गिरिधर  जै जै  सुख सागर !  सुर.समूह.समरथ  भट.नागर !!
ॐ  हनु हनु  हनु हनुमंत हठीले !  बैरिहि  मारु  बज्र की  कीले !!

गदा   बज्र   लै  बैरिहि  मारो !  महाराज   प्रभु   दास   उबारो !!
ॐकार हुंकार महा प्रभु धाओ ! बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ !!

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत  कपीसा !  ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर.सीसा !!
सत्य  होहु  हरी  शपथ  पायके !  राम  दूत  धरु  मारू  जायके !!

जय जय जय हनुमन्त अगाधा ! दुःख पावत जन केहि अपराधा !!
पूजा   जप  तप  नेम  अचारा !  नहिं   जानत  हो  दास  तुम्हारा !!

वन उपवन  मग गिरि गृह मांहीं ! तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं !!
पायं परौं कर जोरी मनावौं ! येहि अवसर अब केहि गोहरावौं !!

जय   अन्जनी  कुमार  बलवंता !   शंकर  सुवन  वीर  हनुमंता !!
बदन कराल काल कुलघालक ! राम सहाय सदा प्रतिपालक !!

भूत   प्रेत   पिसाच   निसाचर ! अग्नि  वैताल  काल  मारी  मर !!
इन्हें  मारु तोहि शपथ राम की ! राखउ नाथ मरजाद नाम की !!

जनकसुता  हरि  दास कहावो !  ताकी  शपथ विलम्ब  न लावो !!
जै जै जै  धुनि  होत अकासा ! सुमिरत होत  दुसह दुःख  नासा !!

चरण शरण कर जोरि मनावौं ! यहि अवसर अब केहि गोहरावौं !!
उठु  उठु  चलु  तोहि  राम.दोहाई ! पायँ  परौंए कर जोरि मनाई !!

ॐ चं चं चं चं   चपल   चलंता !  ॐ हनु हनु  हनु हनु  हनुमन्ता !!
ॐ हं हं हाँक देत  कपि चंचल ! ॐ सं सं सहमि पराने खल.दल !!

अपने  जन  को  तुरत  उबारौ !   सुमिरत  होय  आनंद  हमारौ !!
यह  बजरंग  बाण  जेहि  मारै !  ताहि  कहो   फिर कोन  उबारै !!

पाठ  करै   बजरंग  बाण  की !   हनुमत   रक्षा   करैं   प्रान  की !!
यह    बजरंग   बाण   जो  जापैं !   ताते   भूत.प्रेत    सब    कापैं !!

धूप   देय   अरु   जपै  हमेशा !   ताके   तन   नहिं   रहै   कलेस !!

दोहा

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत हीए सिद्ध करैं हनुमान।।


5) तुलसीदास कृत हनुमान चालीसा खुद में हज़ारों और लाखों मन्त्रों के समान शक्तिशाली बताई गयी है। यदि हनुमान चालीसा का पाठ शुद्ध -  शुद्ध नियमित रूप से करने करने पर व्यक्ति सभी प्रकार के  दुःखों से मुक्त हो जाता है।

दोहा :

श्रीगुरु   चरन  सरोज   रजए   निज   मनु  मुकुरु  सुधारि।
बरनऊं  रघुबर   बिमल  जसुए   जो  दायकु  फल चारि।।
बुद्धिहीन     तनु     जानिकेए      सुमिरौं     पवन.कुमार।
बल    बुद्धि    बिद्या    देहु   मोहिंए हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत  अतुलित  बल  धामा।   अंजनि.पुत्र  पवनसुत  नामा।।

महाबीर   बिक्रम   बजरंगी।   कुमति  निवार सुमति के संगी।।

कंचन  बरन  बिराज  सुबेसा।   कानन  कुंडल  कुंचित केसा।।

हाथ  बज्र  औ   ध्वजा   बिराजै।   कांधे   मूंज   जनेऊ   साजै।।

संकर   सुवन   केसरीनंदन।   तेज   प्रताप  महा  जग  बन्दन।।

विद्यावान   गुनी   अति  चातुर।  राम  काज  करिबे को आतुर।।

प्रभु  चरित्र सुनिबे  को रसिया। राम लखन  सीता  मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम  रूप   धरि  असुर  संहारे।   रामचंद्र  के   काज   संवारे।।

लाय   सजीवन   लखन   जियाये।   श्रीरघुबीर  हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत  बड़ाई।  तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो  जस गावैं।  अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक  ब्रह्मादि  मुनीसा।  नारद  सारद  सहित  अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं  कीन्हा।   राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो  मंत्र  बिभीषन  माना।  लंकेस्वर  भए  सब जग जाना।।

जुग  सहस्र  जोजन  पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम  काज  जगत  के  जेते।     सुगम  अनुग्रह  तुम्हरे  तेते।।

राम   दुआरे   तुम  रखवारे।   होत   न   आज्ञा   बिनु  पैसारे।।

सब  सुख  लहै  तुम्हारी  सरना।  तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन   तेज   सम्हारो  आपै।    तीनों  लोक  हांक  तें  कांपै।।

भूत  पिसाच  निकट  नहिं  आवै।   महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै   रोग   हरै  सब  पीरा।   जपत   निरंतर  हनुमत  बीरा।।

संकट तें  हनुमान  छुड़ावै।  मन  क्रम  बचन  ध्यान जो लावै।।

सब  पर  राम तपस्वी राजा।  तिन के काज सकल तुम साजा।

और  मनोरथ  जो  कोई  लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारों   जुग   परताप तुम्हारा।   है  परसिद्ध  जगत उजियारा।।

साधु.संत   के   तुम  रखवारे।   असुर  निकंदन  राम दुलारे।।

अष्ट  सिद्धि  नौ निधि  के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।

राम  रसायन  तुम्हरे  पासा।   सदा   रहो   रघुपति  के दासा।।

तुम्हरे  भजन  राम  को  पावै।  जनम.जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल  रघुबर  पुर  जाई।  जहां  जन्म  हरि.भक्त कहाई।।

और  देवता  चित्त  न  धरई।   हनुमत  सेइ  सर्ब  सुख करई।।

संकट   कटै   मिटै   सब  पीरा।  जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै   हनुमान  गोसाईं।   कृपा  करहु  गुरुदेव  की  नाईं।।

जो  सत  बार  पाठ  कर  कोई।   छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो  यह  पढ़ै  हनुमान  चालीसा।   होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास   सदा  हरि  चेरा।   कीजै  नाथ  हृदय  मंह  डेरा।।


दोहा 


पवन तनय संकट हरनए मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहितए हृदय बसहु सुर भूप।।



6) यदि आप अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो निम्न मंत्र का          जाप करें शीघ्र ही आपके सारे कष्ट दुर हो जायेंगे-


ॐ हं हनुमंतये नमरू ।   (भय नाश करने के लिए)

ऊँ हुँ हुँ हनुमतये फट्।  ऊँ पवन नन्दनाय स्वाहा।

ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् (द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र)


7) मंगलवार के दिन स्नान इत्यादि करने के बाद हनुमान जी की पूजा करें तत्पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें इससे व्यक्ति समस्त सुखों को भोगता है तथा उसका मंगल दोष शांत हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति का मंगल कमजोर एवं अशुभ होता है तो उसे विद्या, विवाह, संतान, धन तथा भूमि संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है-


ॐ रूवीर्य समुभ्दवाय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ तेजसे नमः
ॐ प्रसन्नात्मने नमः
ॐ शुराय नमः

8) हनुमान मनोकामना मंत्र -


महाबलाय बीराय चिरंजिवीन उद्दते ।
हारिणे वज्र देहाय चोलंग्धितमहाव्यये।

9) संकट दूर करने के लिए  -


ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहाद्य


8) बीज मंत्र - हं हनुमंते नमः इस मंत्र का जप करने पर हनुमान जी                  प्रसन्न  हो जाते हैं तथा जातक पर कृपा की वर्षा करते हैं।  

10) यदि जातक भूत प्रेत जैसे बाधाओं से ग्रसित है तो निम्न मंत्र के जप से          भयमुक्त हो जाता है -


हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबलरूण् अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते!

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।

प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन। जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।

11) व्यक्ति अपने संकट को दूर करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग कर                सकते हैं यह मंत्र बहुत प्रभावशाली है -


ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा:

12) जातक यदि कर्ज के बोझ से दब गया हो तो उसके निवारण के लिए            निम्न मंत्र का प्रयोग करना चाहिए -


ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा:


13) जिस जातक का शनि का महादशा, शनि की साढे साती या ढैया चल रहा हो उस जातक को हनुमान चालीसा के साथ सुन्दरकांड का पाठ भी करना चाहिए। सुन्दरकांड का पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है तथा शनि के किसी प्रकार की दशा हो उसमें काफी राहत मिलती है। जब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाए या कोई कार्य सफल नहीं हो रहा हो तो सुन्दरकांड का पाठ करना चाहिए। इस तथ्य को वैज्ञानिकता के साथ कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी।

14) हनुमान जी के 12 स्वरूपों की तश्वीर सामने रख कर पूजा-पाठ करके इस मंत्र का पाठ करें - 


हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबलरू। रामेष्टरू फाल्गुनसखरू पिङ्गाक्षोमितविक्रमरू।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनरू। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनरू। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यरू पठेत्।। तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।




15) श्री रामचन्द्रजी की 108 नामवली का जाप करना चाहिए -

ॐ राम रामाय नम:, ॐ राम भद्राया नम:, ॐ राम चंद्राय नम:, ॐ राम शाश्वताया नम:, ॐ राजीवलोचनाय नम:, ॐ वेदात्मने नम:, ॐ भवरोगस्या भेश्हजाया नम:, ॐ दुउश्हना त्रिशिरो हंत्रे नम:, ॐ त्रिमुर्तये नम:, ॐ त्रिगुनात्मकाया नम:, ॐ श्रीमते नम:, ॐ राजेंद्राय नम:, ॐ रघुपुंगवाय नम:, ॐ जानकिइवल्लभाय नम:, ॐ जैत्राय नम:, ॐ जितामित्राय नम:, ॐ जनार्दनाय नम:, ॐ विश्वमित्रप्रियाय नम:, ॐ दांताय नम:, ॐ शरणात्राण तत्पराया नम:, ॐ वालिप्रमाथानाया नम:, ॐ वाग्मिने नम:, ॐ सत्यवाचे नम:, ॐ सत्यविक्रमाय नम:, ॐ सत्यव्रताय नम:, ॐ व्रतधाराय नम:,  ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नम:, ॐ कौसलेयाय नम:, ॐ खरध्वाण्सिने नम:, ॐ विराधवाधपन दिताया नम:, ॐ विभीषना परित्रात्रे नम:, ॐ हरकोदांद खान्दनाय नम:, ॐ सप्तताला प्रभेत्त्रे नम:, ॐ दशग्रिइवा शिरोहराया नम:, ॐ जामद्ग्ंया महादर्पदालनाय नम:, ॐ तातकांतकाय नम:, ॐ वेदांतसाराय नम:, ॐ त्रिविक्रमाय नम:, ॐ त्रिलोकात्मने नम:, ॐ पुंयचारित्रकिइर्तनाया नम:, ॐ त्रिलोकरक्षकाया नम:, ॐ धंविने नम:, ॐ दंदकारंय पुण्यक्रिते नम:, ॐ अहल्या शाप शमनाय नम:, ॐ पित्रै भक्ताया नम:, ॐ वरप्रदाय नम:, ॐ राम जितेंद्रियाया नम:, ॐ राम जितक्रोधाय नम:, ॐ राम जितामित्राय नम:, ॐ राम जगद्गुरवे नम:, ॐ राम राक्षवानरा संगथिने नम:, ॐ चित्रकुउता समाश्रयाया नम:, ॐ राम जयंतत्रनवरदया नम:, ॐ सुमित्रापुत्र सेविताया नम:, ॐ सर्वदेवादि देवाय नम:, ॐ राम मृतवानर्जीवनया नम:, ॐ राम मायामारिइचहंत्रे नम:, ॐ महादेवाय नम:, ॐ महाभुजाय नम:, ॐ सर्वदेवस्तुताय नम:, ॐ सौम्याय नम:, ॐ ब्रह्मंयाया नम:, ॐ मुनिसंसुतसंस्तुतया नम:, ॐ महा योगिने नम:, ॐ महोदराया नम:, ॐ सच्चिदानंद विग्रिहाया नम:, ॐ परस्मै ज्योतिश्हे नम:, ॐ परस्मै धाम्ने नम:, ॐ पराकाशाया नम:, ॐ परात्पराया नम:, ॐ परेशाया नम:, ॐ पारगाया नम:, ॐ पाराया नम:, ॐ सर्वदेवात्मकाया परस्मै नम:, ॐ सुग्रिइवेप्सिता राज्यदाया नम:, ॐ सर्वपुंयाधिका फलाया नम:, ॐ स्म्रैता सर्वाघा नाशनाया नम:, ॐ आदिपुरुष्हाय नम:, ॐ परमपुरुष्हाय नम:, ॐ महापुरुष्हाय नम:, ॐ पुंयोदयाया नम:, ॐ अयासाराया नम:, ॐ पुरान पुरुशोत्तमाया नम:, ॐ स्मितवक्त्राया नम:, ॐ मितभाश्हिने नम:, ॐ पुउर्वभाश्हिने नम:, ॐ राघवाया नम:, ॐ अनंतगुना गम्भिइराया नम:, ॐ धिइरोत्तगुनोत्तमाया नम:, ॐ मायामानुश्हा चरित्राया नम:, ॐ महादेवादिपुउजिताया नम:, ॐ राम सेतुक्रूते नम:, ॐ जितवाराशये नम:, ॐ सर्वतिइर्थमयाया नम:, ॐ हरये नम:, ॐ श्यामानगाया नम:, ॐ सुंदराया नम:, ॐ शुउराया नम:, ॐ पितवाससे नम:, ॐ धनुर्धराया नम:, ॐ सर्वयज्ञाधिपाया नम:, ॐ यज्वने नम:, ॐ जरामरनवर्जिताया नम:, ॐ विभिषनप्रतिश्थात्रे नम:, ॐ सर्वावगुनवर्जिताया नम:, ॐ परमात्मने नम:, एवं ॐ परस्मै ब्रह्मने नम: !

16) फिर श्रीहनुमान जी का 108 नामों का जाप करना चाहिए -

ॐ हनुमते नमः, ॐ श्रीप्रदाया नमः, ॐ वायुपूत्राया नमः, ॐ अजराया नमः, ॐ अमृत्याया नमः, ॐ मारुताथमज़ाया नमः, ॐ विराविराया नमः, ॐ ग्रामवासाया नमः, ॐ जनश्रयड़ायाया नमः, ॐ रुद्राया नमः, ॐ अनागाया नमः, ॐ धनदायाया नमः, ॐ अकायाये नमः, ॐ विरये नमः, ॐ वागमिने नमः, ॐ पिंगाकशाये नमः, ॐ वारदाये नमः, ॐ सीता शोकविनाशनाये नमः, ॐ रक्तावाससे नमः, ॐ शिवाये नमः, ॐ निधिपटये नमः, ॐ मुनाये नमः, ॐ शरवाये नमः, ॐ व्यक्ताव्यकताये नमः, ॐ रासाधराये नमः, ॐ पिंगाकेशाये नमः, ॐ पिंगरोमने नमः, ॐ श्रुतिगामयाये नमः, ॐ सानातनाया नमः, ॐ पराये नमः, ॐ अव्यकताये नमः, ॐ अनादाये नमः, ॐ भगवाते नमः, ॐ डेवाये नमः, ॐ विश्वहेटावे नमः, ॐ निराश्रयाये नमः, ॐ आरोगयकारते नमः, ॐ विश्वेश्वाये नमः, ॐ विश्वानायाकाये नमः, ॐ हरिश्वराये नमः, ॐ विश्वमुरताया नमः, ॐ विश्वकाराये नमः, ॐ विषडाये नमः, ॐ विश्वात्मनाय नमः, ॐ विश्वाहाराया नमः, ॐ राव्याय नमः, ॐ विश्वचेशलाये नमः, ॐ विश्वासेवायाय नमः, ॐ विश्वाया नमः, ॐ विश्वागम्याय नमः, ॐ विश्वाध्ययाये नमः, ॐ बालाये नमः, ॐ वृधाध्यये नमः, ॐ यूनाया नमः, ॐ कलाधराये नमः, ॐ प्लावंगगमये नमः, ॐ कपिशेषतया नमः, ॐ विडयाये नमः, ॐ ज्येष्ताये नमः, ॐ तटवाये नमः, वनचराये नमः, ॐ तत्वगामयये नमः, ॐ सखये नमः, ॐ अजाये नमः, ॐ अंजनीसूनावे नमः, ॐ अवायगराये नमः, ॐ भार्गाये नमः, ॐ रामाये नमः, ॐ रामभक्ताये नमः, ॐ कल्याणाये नमः, ॐ प्राकृतिस्तिराया नमः, ॐ विश्वंभाराये नमः, ॐ ग्रामासवंताय नमः, ॐ धराधराय नमः, ॐ भुरलोकाय नमः, ॐ भुवरलोकाय नमः, ॐ स्वर्गालोकाया नमः, ॐ महालोकाय नमः, ॐ जनलोकाय नमः, ॐ तापसे नमः, ॐ अव्यायाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ ओंकार्जमयाये नमः, ॐ प्राणवाये नमः, ॐ व्यापकाये नमः, ॐ अमलाये नमः, ॐ शिवधर्मा.प्रतिष्ताये नमः, ॐ रमेशतात्राया नमः, ॐ फाल्गुणप्रियायेया नमः, ॐ राक्षोधनाया नमः, ॐ पंदारिकाक्षायाया नमः, ॐ दिवाकाराया नमः, ॐ समप्रभाये नमः, ॐ द्रोनहार्ताया नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ गोसपदिकृताया नमः, ॐ वारिशाये नमः, ॐ पूर्णकमाया नमः, ॐ धरा धिप्प्याय नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ मारकायाया नमः, ॐ रामदूठाया नमः, ॐ कृष्णाया नमः, ॐ शरणागतवत्सलाया नमः, ॐ जानकीपराणदाताया नमः, ॐ रक्षप्रानहारकाया नमः, ॐ पूर्णाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ पितावाससेया नमः एवं ॐ डेवाया नमः !


17) हनुमान बाहुक का पाठ करना चाहिए यह आपको किसी धार्मिक पुस्तक की दुकान में आसानी से मिल जायेगा । हनुमान बाहुक का निरन्तर पाठ करने से मनोवांछित मनोरथ की प्राप्ति होती है। शारीरिक रोगों के अतिरिक्त और भी सब प्रकार की लौकिक बाधाएँ इस स्तोत्र से निवृत होती हैं। इससे मानसरोग मोहए कामए क्रोधए लोभ एवं राग.द्वेष आदि तथा कलियुग कृत बाधाएँ भी नष्ट हो जाती हैं।


           आशा करता हुँ कि जातक को इस परिचर्चा से लाभान्वित होंगे एवं इसके प्रयोग से कष्ट का निवारण होगा। यदि जातक को इससे फायदा होता है तो अवश्य हमें सूचित करें हमें प्रसन्नता होगी और मेरा इस संकलन का अथक प्रयास सार्थक सिद्ध होगा।


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रविवार, 11 मार्च 2018

वशीकरण मंत्र, शाबर मंत्र एवं टोटके

वशीकरण मंत्र, शाबर मंत्र एवं टोटके

            वशीकरण क्या है? अधिकतर लोग यह समझते हैं कि कोई जादू है जिसे करते ही कोई भी वश में हो जायेगा, वस्तुतः यह एक ऐसी क्रिया है जिससे व्यक्त अपने भीतर के प्रभाव को जागृत करता है जिससे आपके सामने जो व्यक्ति आता है वह प्रभावित हो जाता है। इसका प्रयोग दूसरों की भलाई के लिए करना चाहिए, गलत प्रयोग के लिए कदापि नहीं है। वशीकरण के द्वारा हम अपने आत्मविश्वास को सुदृढ करके दूसरे का विश्वास जीतते हैं इससे अपना कारोबार, रोजगार तथा प्यार में सफलता प्राप्त करते हैं। वशीकरण मंत्र किसी पिड़ित व्यक्ति के मन तथा मस्तिक को प्रभावित करता है, तो आइये इसके मंत्र तथा टोटके के बारे में बताते हैं -

1) माता दुर्गा का मंत्र द्वारा वशीकरण - माता दुर्गा की तश्वीर के सामने 11,000 या 1,25,000 (सवा लाख) जप करें। जिसे वश में करना है उसकी तश्वीर अपने मन में रखकर जप करें। नित्य एक माला जप करें। इसके साथ लाल आसन, वस्त्र एवं पुष्प का प्रयोग करें।

1) ज्ञानिनामपि चेतांसिए देवी भगवती ह्री सा।  बलादाकृष्य मोहायए महामाया प्रयच्छति।।

2) ॐ चामुण्डे ज्वल.ज्वल प्रज्वल.प्रज्वल स्वाहा।

3) दासत्व से मुक्ति के लिए - यो मां जयतिए यो मे दर्पं व्यपोहति। यो मे प्रतिबलो लोके स मे भर्ता भविष्यति।

4) शत्रु के विनाश के लिए -

1) क्षणेन तन्महासैन्यं सुराणां तथाम्बिका निन्ये क्षयं यथावहनिस्तृण दारूमहाययम्।

2) गर्ज.गर्ज क्षणं मूढ़ मधु यावत्पिबाम्यहम्। मया त्वयि हतेऽत्रेवए गर्जिष्यन्त्याशु देवतार:।।

5) नाम से वशीकरण करने का मंत्र -

ऊँ हारीम कुरूम पिसचिनी (जिसका वशीकरण करना हो उसका नाम) मं वशियम भवन्ति।

6) किसी स्त्री को वश में करने का मंत्र - किसी भी अमावश्या की रात में स्त्री के बाल ले कर अब निम्न मंत्र का जाप 108 बार करें तत्पश्चात अपने के साथ उसके बाल को जला दें

ऊँ नमः कामाक्षी देवी ;अमुकी द्ध  में वशं कुरु.कुरु स्वाहा

7) एक अपने बाल लें तथा एक स्त्री के बाल (जिसे वश में करना हो) लेकर एक लौंग में लपेट लें उसपर सिंदूर लगा कर एक डिब्बे में रख दें। अब पूर्व दिशा में रूद्राक्ष की माला से मंत्र का जाप करें -

ऊँ  ह्लींम  सुंदरी देवी मम प्रिये आगच्छ.आगच्छ नमः

8) एक अपने बाल लें तथा एक स्त्री के बाल (जिसे वश में करना हो) लेकर निम्न मंत्र का जाप 108 बार करें फिर किसी सुनसान जगह पर जला दें - 

ॐ नमः कामाक्षी देवी में अमुक ; उस स्त्री का नाम जिसे आप वश में करना चाहते हैं द्ध सन क्रु क्रु स्वाहा ।

9) इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति आजीवन वश में रहता है - मंगलवार को निम्न सामग्री - काला कपड़ा, चावल, घी तथा एक मिट्टी का बर्तन तथा जिसे आप वश में करना चाहते है उसके बाल ले। एक हवन कुंड को प्रज्वल्लित करे फिर उसमें हल्दी पिसी हुई तथा स्त्री के बाल जला लें उसके बाद निम्न मंत्र का जाप करें। जब 100 मंत्र हो जाये तो थोड़ा सा चावल एवं घी डाले। अब सारी राख को बर्तन में डाल कर किसी सुनसान या श्मशान में रख आयेें। ध्यान रहे इस विधी को करते हुए कोई न देखे।

काली महाकाली कालिके परमेश्वरी !
सर्वानंदकरी देवी नारायणी नमोस्तुते  !!

10) कामाक्षी वशीकरण मंत्र -

ॐ नमरू कामाक्षी देवी ;कन्या का नामद्ध नारी मे वशं कुरु कुरु स्वाहा।

11) काल-भैरव वशीकरण मंत्र -

ॐ नमो काली भैरव निशि राती काल आया आधा
राती चलती कतार बंधे तू बावन बार पर नारी से राखे
गीर मन पकरि वाको लावे सोवति को जगाय लावे
बैठी को उठाय लावे फुरो मंत्र इश्वरो वाचा।

12) चामुण्डा वशीकरण मंत्र -

ॐ नमो अघोरे ही अघोरे हुं घोर घोरतरे सर्व सर्वे
नमस्ते रूपे हरू ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे विच्चे
नवाक्षार चंडीमात्रेण निमंत्रयेत्तच बलिपुर्वकम्।

13) नमक से वशीकरण -

ॐ नमो भगवती भागम भागी देवी प्यारे (व्यक्ति का नाम) मूझसे वशी करा करा स्वाहा।

14) कामदेव वशीकरण मंत्र -

ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्

15) कामदेव शाबर मंत्र -

ॐ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।

16) शुक्र मंत्र - 
क) ॐ द्रां द्रीं द्रौं शूक्राय नमः
 ख) ॐ शं सम्मोहनाय फट्।

17) गोरखनाथ वशीकरण मंत्र - 

ओम एक नमक रमता माता, दूसरा नमक विरह से आता।
तीसरा नमक औरी.बौरी, चैथा नमक रहै कर जौरी।
यह नमक अमुक 1 खाए, अमुक 2 को छोड़ दूसरा नहीं जाए।

(1 का मतलब वशीकरण करने वाले तथा 2 का मतलब वशीकरण किये जाने वाले व्यक्ति।)

17) पति वशीकरण मंत्र -

क) ओम र्हीं क्लीं कलिकुंड स्वामिनी अमृत वक्र अमुकं जुमभय मोहय स्वाहा!!
ख) ओम नमो भगवती मातंगेश्वरी सर्व मन रंजनी सर्वषान महातगे कुवरी के नंद नंद जिव्हे सर्व जगत वश्य मानय स्वाहा!!


मोहिनी वशीकरण टोटके -

1) शुभ मुहूर्त में आसन लगाएं तथा बिना हिलेडुले रुद्राक्ष की माला पर निम्नलिखित मंत्र का 11 माला जाप करें-

मोहिनी मोहिनी कहा चली । बाहर खुदाई काम कन चली ।
फलानी फलाने को देखै, जरै मरै ।  मेरे को देखकर पायन पडै ।
छु मंत्र काया एआदेश, गुरु की शक्ती, मेरी भक्ति, फूरो मंत्र ईश्वरो वाचा ॥

2) नित्य सरसो के तेल का दीपक जलाकर 41 दिनों तक निम्नलिखित मंत्र का दो घंटे तक पाठ करें.

तेल तेल गौरी का खेल राजा प्रजा कौन्सल चलके मेरे और मेरे परिवार के
पैरी मेल मन मोहे तन मोहे मोहे सभी शरीर मोहे पंजे पीर
जय फूला कम करे खुल्ला मलंगी तोड़े तंगी

3) स्त्री वशीकरण शाबर मंत्र - 

ॐ भगवती भग भाग दायिनी देव दत्तीं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा

3) शाबर मंत्र, तिलक द्वारा वशीकरण -

ॐ नमो आदेश गुरु को !राजा मोहुँ द्य प्रजा मोहुँ द्य मोहुँ ब्राह्मण बनियाँ द्य हनुमन्त ब्राह्मण बनियाँ !
हनुमन्त रूप मे जगत मोहूँ ! तो रामचन्द्र परमाणियाँ ! गुरु की शक्ति ! मेरी भक्ति ! फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा !

4) चमेली के तेल से शाबर वशीकरण -

ॐ नमो मन मोहिनी द्य मोहिनी चला, गैर के मस्तक धरा, तेल का दीपक जला, जल मोहुँ , थल मोहुँ, मोहुँ सारा जगत, मोहिनी रानी जा शैया पै ला , न लाये तो गौरा पार्वती की दुहाई, लोना चमारिन की दुहाई, नहीं तो वीर हनुमान की आन

चमेली के तेल को एक डब्बे में रख लें उपरोक्त मंत्र का जाप 7 बार करे तथा हा बार तेल पर फुंक मारें। अब इस तेल को जिस स्त्री को वश में करना हो उस पर छिड़क दें।

5) आँखों से शाबर वशीकरण मंत्र -

एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूँ हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा!

 इस मंत्र का जाप करते हुए यदि किसी स्त्री से नजर मिलाई जाये तो वह वशीभूत जो जाती है !

6) पान से शाबर वशीकरण मंत्र -

श्री राम नाम रबेली अकनकबीरी! सुनिए नारी ! बात हमारी !
एक पान संग मंगाय ! एक पान सेज सौं लावै ! मक पान मुख बुलावै !
हमको छोड़ और को देखै तो तेरा कलेजा मुहम्मद वीर चक्खे !

7) सिद्ध शाबर मंत्र - ॐ शिव गुरु गोरखनाथाय नमः 

8) भैरवः पूर्णरूपो हि शंकरः परात्मनः। मूढ़ास्ते वै न जानन्ति मोहिता शिवमायया।

9) ॐ नमोः काल भैरूं काली रात काला चाल्या आध रातए
काला रेत मेरा वीरए पर नारी के राखे सीर बेगी जा छाती धर लाए
सूती हो जो जगाय लाए शब्द सांचा पिण्ड कांचा पफूरो मंत्रा ईश्वरी वाचा।

10) शूकर.दन्त वशीकरण - 

ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं वाराह.दन्ताय भैरवाय नमः।

विधि. ष्शूकर.दन्तष् को अपने सामने रखकर उक्त मन्त्र का होली दीपावलीए दशहरा आदि में १०८ बार जप करे। फिर इसका ताबीज बनाकर गले में पहन लें। ताबीज धारण करने वाले पर जादू.टोनाए भूत.प्रेत का प्रभाव नहीं होगा। लोगों का वशीकरण होगा। मुकदमें में विजय प्राप्ति होगी। रोगी ठीक होने लगेगा। चिन्ताएँ दूर होंगी और शत्रु परास्त होंगे। व्यापार में वृद्धि होगी।

11) हनुमान मोहिनी मंत्र: -

ओम नमो महावीरएहनुमन्त वीर स धाय.धाय चलोएअपनी मोहिनी चलाओएअमुक के नैन बाँधएमन बाँधएकाया बाँध, घर बाँध, द्वार बाँध मेरे लियेएना बाँधे तो मेरी आण.मेरे गुरू की आणएछु वाचापुरी !

आशा करता हुँ कि यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा तथा एक विनती के साथ विदा लेता हुँ कि आप इसका प्रयोग किसी गलत कार्य हुतु न करें यह मंत्र तथा उपाय जनकल्याण के लिए करें।

गुरुवार, 8 मार्च 2018

नौकरी में प्रमोशन के उपाय

नौकरी में प्रमोशन के उपाय

          जो व्यक्ति सरकारी या गैर सरकरी नौकरी पेशा में कार्यरत हैं एवं उनका प्रमोशन नहीं हो रहा है, वे अपने पदोन्नति ओ सैलरी इंक्रीमेंट के इन्तजार में है यह लेख उनके लिए यह लेख अनुपम वरदान साबित होगा। हमारे ज्योतिष विद्या में दशम भाव कर्म का होता है दशम भाव मे स्थित ग्रह तथा राशि यदि अनुकूल नहीं होता है तो उस जातक को पदोन्नति में कठिनाइओं का सामना करना पड़ता है। सूर्य, शनि, गुरू, बुध इत्यादि ग्रहों के भाव तथा इन ग्रहो के उच्य तथा नीच होने के संयोग से व्यक्ति का कर्म भाव प्रभावित होता है। इन सब दोष को दूर करने के लिए भारतीय ज्योतिष विद्या में, लाल किताब में तथा कुछ टोटके जिसमें से कोई एक या दो उपाय को लगातार करने पर जातक को अवश्य ही सफलता मिलती है -

मंत्र तथा पूजा-पाठ के द्धारा -

1) शनिवार को सूर्यादय के पहले अपना बिस्तर छोड़ दें, नित्य क्रिया से            निवृŸा होकर शनिदेव की पूजा करें तथा निम्न मंत्र का पाठ 1008              बार रूद्राक्ष के माला से करें

        ऊँ नम: भगवती पद्मावती ऋद्धि.सिद्धि दायिनी दुख.दारिद्रय                        हारिणी  श्रीं श्रीं ऊँ नमरू कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा।

2) जातक की पत्नी को लाल या गुलाबी वस्त्र धारण करके कनकधारा              स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

3) जातक की पत्नी को लाल या गुलाबी वस्त्र धारण करके मंगलचण्डी              स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

4) जातक को तरक्की के लिए गुरूवार को पीला वस्त्र धारण करना                चाहिए, दान में चने की दाल, पीला केला या पीला वस्त्र दान करें यथा          संभव पीला भोजन करने का भी प्रयास करें।

5) ॐ  एकदन्ताय    विद्महे   वक्रतुण्डाय  धीमहि  ! तन्नो  दंती                        प्रचोदयात  ! 
        गणेशजी के इस मंत्र का नित्यप्रतिदिन पाठ करें।

6)  शं शनैश्चराय नम:। मंत्र का 108 बार मंत्रों का जाप करेंए ऐसा                करने से नौकरी में प्रमोशन मिलता है।

7) शिव को  प्रसन्न करें . श्री शिवाय नमरू श्री शंकराय नमरू श्री                    महेशवराय नमरू श्री सांबसदाशिवाय नमरू

8) गणेश जी को प्रसन्न करें - ॐ श्री गणेशाय नम: गं गणपतये नम:                  ॐ गं गणपतये नमरू ॐ गं ॐ

9) तरक्की के लिए गायत्री मंत्र का पाठ करें - ॐ भूर्भुवरू स्वः।                      तत्सवितुर् वरेण्यं ।।भर्गो देवस्य धीमहि। धियो योनः प्रचोदयात्।

इन उपायों में से किसी एक टोटके को लगातार करते रहें -
1) पीपल के पत्ते की माला बनाकर हनुमान जी को चढायें।

2) सात तरह का आनाज लेकर किसी मैदान, पार्क या अपने छत पर              बिखड़ा दे चिड़ियों को खाने के लिए।

3) गेहुं एवं गुड़ को किसी बर्तन में रख कर किसी गाय को श्रद्धापूर्वक              एवं  स्नेह के खिलायें।

4) गोमती चक्र को चाँदी के तार में बांध कर हमेशा अपने पास रखें। यह          कार्य शुक्लपक्ष के सोमवार को करें।

5) अपने घर में बजरंगबली का उड़ता हुआ तश्वीर लगायें एवं उनके                सामने हनुमान चालिसा का पाठ करें।

6) मंगलवार तथा शिनिवार को बड़गद के पत्ते पर आटे का दिया                    जलाकर हनुमान जी के मंदिर में रखें।

7) हरे रंग के कपड़े में एक इलाइची बांध कर अपने सिरहाने में रखें                तथा  सुबह में किसी बाहरी व्यक्ति को दें।

8) हनुमान मंदिर में मीठा पान चढाएं।

9) शनिदेव का पूजन करें तथा बीज मंत्र का जाप करें।

10) सूर्यदेव का पूजन करें तथा बीज मंत्र का जाप करें।

11) हनुमान जी का पूजन करें, हनुमान चालीसा का पाठ रात्रि में 12 बजे के बाद करें, बीज मंत्र का जाप करें।

12) मंगलवार को बजरंगबाण का पाठ करें।

13) मंगलवार को बजरंगबली के मंदिर में सिंदूर अर्पण करें।

14) मंगलवार तथा शनिवार को बजरंगबली के मंदिर में दीप दान करें।

15) घर से निकलते वक्त अपने साथ आटा एवं गुड़ लेकर जाए एवं जहाँ            गाय मिले उसे खिला दें कल्याण होगा।

17) प्रातः काल में सूर्य देवता को जल अर्पण करें।

लाल किताब के अनुसार उपाय एवं टोटके - 

1) उस कुंआ में दूध डालें जिसमें पानी न हो।

2) काला कम्बल किसी गरीब को दान करें।

3) सात तरह के आनाज चिड़ियों को खिलायें।

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बुधवार, 7 मार्च 2018

व्यापर में वृद्धि के अचूक उपाय

व्यापर में वृद्धि के अचूक उपाय

           क्या आपका व्यापार नहीं चल रहा है ? क्या आपके व्यापार घाटा में चल रहा है ? क्या आप चाहते है कि आपके व्यापार में उन्नŸिा हो, आपको अपने कारोबर मंे दिन दूना रात चैगुना बृद्धि हो ? गा्रहकों की भीड़ आपके संस्थान में लगा रहे। आपके लाख प्रयास के बावजूद आपको सफलता नहीं मिल रहा है ? कइ बार अच्छा-खासा व्यापार में अचानक नुकसान होने लगता है। व्यापार में व्यवधान के कई कारण हो सकते हैं ज्योतिषिय, वास्तु और विपरीत टोटके इत्यादि। अपने व्यापार, आॅफिस एवं वृŸिा, में सौ प्रतिशत सफलता प्राप्ति के लिए यहाँ दिये गये मंत्र, यंत्र तथा टोटके का प्रयोग करें सफलता आपके कदम चूमेंगी और आपके कारोबार में चार-चाँद लग जायेगा।

           कई लोग यह सोचते रह जाते हैं कि मंत्र का प्रभाव होगा कि नही ? वास्तु से क्या होगा ? टोटके बेकार तो नहीं चले जायेगा ? इत्यादि इत्यादि। किसी उपाय करने से पहले उस पर विश्वास करना अत्यंत जरूरी होता है तभी आप दिल से उसको करेंगे और वह फलित भी होगा।दान ही धर्म है का यह सनातन धर्म का नियम है कि जितना आप देंगें ईश्वर उसे दोगुना करके आपको लौटा देते हैं। तो आइये इस कल्याणकारी उपाय को जानते हैं -
मंत्र तथा पूजा पाठ के द्वारा उपाय -

1) अपने व्यापार या आॅफिस में पहुँच कर सबसे पहले लक्ष्मी-गणेश की मूर्Ÿिा के सामने धूप-अगरबŸाी दिखाकर इस मंत्र का पाठ करें।    ऊँ श्री शुक्ला महाशुक्ला निवासे। श्री महालक्ष्मी नमः।

2) पारद शिवलिंग पर अभिषेक करें।

3) प्रत्येक शुक्रवार को लक्ष्मीनारायण मंदिर में चना एवं गुड़ का वितरण करें।

4) हिंजरों को वस्त्र एवं रूपये दान में दें तथा उससे एक का सिक्का मांग लें।

5) ऊँ ह्रीं ऐं व्यापार ऊँ वुद्धि ऊँ नमः।

6) ऊँ कार्य सिद्धि ऊँ नमः।

7) लाल वस्त्र पर लक्ष्मी महालक्ष्मी यंत्र को रखकर अर्धरात्रि मेें रखकर नित्य एक माला (अर्थात 108 बार जाप) इस मंत्र का करें।
ऊँ नमों भाग्य लक्ष्मै च विदमहे अष्ट लक्ष्मै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्। 

8) ऊँ हुं फट्। का पाठ करें।

9) तांबे के लोटे में मिर्ची के बीज डाल कर जल के साथ सूर्य देवता को अर्पण करें और इस मंत्र का उच्चारण करें - तांबे के लोटे में मिर्ची के बीज डाल कर जल के साथ सूर्य देवता को अर्पण करें और इस मंत्र का पाठ करें - ऊँ ही्रं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ऊँ।

10) किसी शुभ कार्य हेतु निकलने से पहले श्री गणेशाय नमः का जप कर के निकलें कार्य अवश्य सफल होगा।

11) व्यापार में वृद्धि के लिए निम्न मंत्र का पाठ करें। -
        तांबे के लोटे में मिर्ची के बीज डाल कर जल के साथ सूर्य देवता को           अर्पण करें और इस मंत्र का 
       ऊँ श्रीं ही्रं क्लीं महालक्ष्म ैनमः। 
       ऊँ महालक्ष्मै विदमहे महाश्रियं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।
       ऊँ या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता।
       नमतस्यै नमतस्यै नर्मस्य नमो नमः।

12) दिपावली के दिन श्री कुबेर यंत्र की पूजा करनी चाहिए।

13) व्यापार में वृद्धि के लिए इस मंत्र का पाठ करें।

        ऊँ श्री शुक्लः महाशुक्लेहः निवासै। श्री महालक्ष्मीहः नमोहः नमः।

14) व्यापारिक संस्थान में गा्रहकों की संख्या में वृद्धि के लिए निम्न मंत्र              का  जाप करना चाहिए।
        ऊँ नमः शिवाय।

15) विल्वाष्टकम का पाठ करना चाहिए।

16) गा्रहकों की वृद्धि के लिए शमी के पेड़ की लकड़ी को पान में लपेट            कर अपने गल्ले में रखना चाहिए।

17) प्रदोष वृत रखें , संध्या काल में अश्वगंध के पुष्प को घी में डुबाकर                शिवजी का पंचोपचार पूजन के पश्चात निम्न मंत्र का जाप करें -
        ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्धि श्रीं श्रीं श्रीं।
18) व्यापारिक संस्थान में लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा के सामने निम्न मंत्र का          पाठ करें -
        ओम नमो भगवती पद्म पद्मावती ओम ह्रीं श्रीं पूर्वायए                                  दक्षिणायएपश्चिमायएउत्तरायएआणुपूरय सर्व जन वश्यं कुरु स्वाहा
19) श्रीकृष्ण भगवान का निम्न मंत्र का जाप करें -
        ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।

 कुछ टोटके दिये जा रहे है जो व्यापार वृद्धि में अचूक सफलता का सूचक है -

1) 12 गोमती चक्र को लाल रंग के कपड़े में बांध कर अपने दुकान                  अथवा आॅफिस के बाहर लटका दें। इससे आपके व्यापार संस्थान में          आनेवाले ग्राहकों की संख्या बढेगी।
2) प्रतिदिन श्रीयंत्र एवं कुबेर यंत्र की पूजा पंचोपचार के साथ करें। एक           पीला कपड़ा लें, उसमें नागकेसर, 11 हल्दी, 11 सुपाड़ी, 11 गोमती             चक्र, 11 छेद वाले तांबे के सिक्के, और 11 मुटठी पीला अरवा चावल           इन सभी सामाग्री को बांध कर कंुकुम, केसर एवं हल्दी को घोलकर         21 बिंदी लगायें। घी का दीपक जलायें और लक्ष्मी के बीज मंत्र का               108 बार पाठ करें।

3) अपने व्यापारिक स्थान में पीली सरसों, तिल, साबुत नमक, एवं                  धनियाँ  मिलाकर रख दें।

4) अपनी तिजोरी या आलमीरा में कोई भी नोट 101 रखें तथा जेब में              हमेशा कुछ सिक्के रखें।

5) दुकान या आॅफिस मे गल्ला हमेंशा उŸार दिशा में होना चाहिए।

6) भवन बनवाते समय भवन के नींव में 11 कौड़ियाँ रखें।

7) मंगलवार तथा शनिवार को काले धागे में सात हरी मिर्च और एक                निंबू  सुबह बांध दें। ध्यान रहे यह तैयारी व्यापारी की पत्नी एवं बेटी के          द्धारा हो तो अधिक लाभदायक सिद्ध होगा।

8) एक नारियल को लाल रंग के चमकीले कपडे़ में बांध कर व्यापार                वाले स्थान में गल्ला में रख दें।

9) किसी काम के लिए निकलने से पहले अपने इष्टदेव का ध्यान कर लें।

10) कपूर एवं रोली को जलायें उसकी राख को पुड़िया बनाकर आलमीरा          या तिजोरी में रख दें।

11) शनिवार को तेल चुपड़ी हुई रोटी कुŸो को खिलायें।

12) दीपावली के संध्या को अशोक वृक्ष की पूजा करें एवं दीपक जलायें।

13) घर या कार्यालय में 6 मोर के पंख रखें।

14) शनिवार को पीपल के पŸो को तोड़कर लायें उसे अपनी गद्दी के              नीचे रख दें ऐसा 7 शनिवार तक करें।

15) कार्यस्थल में प्रवेश करते समय अपनं दाहिना हाथ से जमीन को छू              कर मस्तक पर तिलक लगावें।

16) अगर आपके व्यापार से किसी को जलन हो रहा हो तो साबुत                    फिटकरी लेकर दुकान के बाहर किसी चैराहे पर फेंके।

17) घर, दुकान या आॅफिस में सरसों रखें इससे व्यापार में वुद्धि होगी।

18) किसी शुभ नक्षत्र को जामुन की जड़ को निकाल कर अपने पास रख          लें।

19) एक मिट्टी का शेर माता दुर्गा को चढावें सारे कष्ट दूर होंगे।

20) यदि व्यापार, नौकरी या कार्य क्षेत्र में लगातार हानि का सामना करना          पडे़ तो झाड़ु को ऐसे स्थान पर रखे जो बाहरी व्यक्ति को न दिखे।

21) 11 पीपल के पŸो को गंगाजल से धो कर लाल चंदन से हर पŸो            पर सात बार राम नाम लिख कर हनुमान मंदिर में चढा दें तथा प्रसाद          बांटे तथा ऊँ हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट् स्वाहा।

22) गाय, कुŸो, कौवे एवं चींटी को भोजन जरूर करावें क्योंकि शास्त्र            में  कहा गया है कि आय का कुछ भाग इनके भोजन तथा दान में                जरूर लगाना चाहिए।

23) एक निंबु में चार लौंग गाड़ दें तथा उसे अपने हाथ में रखकर निम्न मंत्र          का 21 बार जाप करें क्क श्री हनुमते नमः

24) शुक्ल पक्ष के गुरूवार को अपने माथे पर केसर एवं चन्दन का                    तिलक  लगाकर राममंदिर में दण्डवत प्रणाम करें।

25) यदि कि कार्य के लिए घर या आॅफिस से निकलें तो गुड़ खा कर                  निकलें यह शुभ होता है।

26) यदि कि कार्य के लिए घर या आॅफिस से निकलें श्री गणेशाय नमः का          जाप कर के निकलें यह शुभ होता है।

27) यदि कि कार्य के लिए घर या आॅफिस से निकलें तो तुलसी के पŸो            खा कर नकलें यह शुभ होता है।

28) कभी भी ब्रम्हमुहुर्त या संध्या काल में झाडु़ न लगावें।

29) मछलियों को आटे की गोली बना कर खिलायें।

30) घर या आॅफिस से निकलने से पहले हरी इलायची अपने हाथ में                  लेकर  श्रीं श्रीं बोलें फिर उसे खा ले और पीछे मुड़कर न देखें कार्य              शुभ होगा।

31) शनि देव की आराधना करें।

32) सूर्य देव की आराधना करें।

33) हनुमान जी की पूजा करें।

34) माँ काली की पूजा अमावश्या को करें एवं नारियल फोडें।

35) शिवजी की आराधना करें।

36) भगवान विष्णु की पूजा करें।

37) गौ माता की सेवा करें।

38) एकादशी का व्रत रखें।

39) तुलसी की पूजा करें।

40) अपने घर या संस्थान में एक उल्लु की तश्वीर लगावें।

41) इक्वेरियम लगावें उसमें 9 गोल्डेन और एक काली मछली डालेें।

42) अपने पूजा स्थान में उड़ते हुए हनुमान जी के तश्वीर लगावेें।

43) प्रत्येक माह सोमवार को सफेद कपडे़ में चावल डालकर माँ काली              के  मंदिर में अर्पण करें।

44) यदि व्यापार में हानि हो रहा हो तो अपने वनज के बराबर कोयले को          जल में प्रवाहित कर देें।

45) काले तिल को घर के सभी सदस्यों को नियोक्षावर कर के उŸार              दिशा में फेंक दें।

46)   हर शनिवार को काले तिल का दान करे।


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मिथुन राशि वालों के लिए मित्र और शत्रु ग्रह !

मेष राशि नमस्कार दोस्तों, आज से सभी 12 राशियों की जानकारी देने के लिए   एक श्रृंखला सुरू करने जा रही हैं जिसमे हर दिन एक एक राशि के बारे में...